Kahani UP Ki: यादव से ‘पंडित’ बना मुलायम का वो खासमखास विधायक, जिसे बीच सड़क पर घेरकर गोली मारी गईSubscribe नोएडा1976 के उस दौर में देश में इमर्जेंसी लगी हुई थी। हजारों लोग जेल में बंद थे और सारे देश में प्रशासनिक हनक के जोर पर मीसा कानून की गिरफ्तारियां हो रही थीं। आपातकाल के उस दौर में संजय गांधी यूपी के तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी के साथ लखनऊ से दिल्ली जा रहे थे। विमान दिल्ली की सीमा में दाखिल होता, उससे पहले संजय को दिल्ली के बाहर यमुना के किनारे खेतों का इलाका दिखाई दिया। खिड़की से झांकते संजय ने तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी को औद्योगिक विकास के लिए एक शहर बसाने का आइडिया दिया। कहा जाता है कि इसी प्रस्ताव पर तत्कालीन तिवारी सरकार ने सहमति दी और फिर अप्रैल 1976 में नोएडा की स्थापना के लिए एक प्राधिकरण बनाया गया।ऐसे आया नोएडा बसाने का आइडिया इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के लिए संजय गांधी एक ऐसा क्षेत्र चाहते थे, जहां पर दिल्ली में लगाई गई सारी यूनिट्स को शिफ्ट किया जा सके। यूपी की ब्यूरोक्रेसी में उस वक्त शीर्ष पद पर रहे एक अफसर कहते हैं कि जब एनडी तिवारी को यह प्रस्ताव दिया गया तो दिल्ली के तमाम इलाकों में फैक्ट्रियों का संचालन किया जा रहा था। दिल्ली में आवासीय क्षेत्रों से लेकर बाहरी इलाकों तक में तमाम औद्योगिक ईकाईयों को लगाया गया था। संजय गांधी की मंशा थी कि अगर इन्हें किसी बाहरी इलाके में शिफ्ट किया जाए तो इससे दिल्ली का प्रदूषण कम हो सकेगा और यहां के कई इलाके भी खाली हो जाएंगे।नारायण दत्‍त त‍िवारी (फाइल फोटो) संजय गांधी के प्रस्‍ताव पर ND तिवारी ने लगाई मुहरसंजय गांधी और तिवारी की जिस यात्रा में नोएडा का प्लान बना, उसमें संजय ने यमुना के इस पार के इलाके को देखा था। नारायण दत्त तिवारी जिन्हें उस वक्त न्यू डेल्ही तिवारी कहा जाता था, वह दिल्ली के हर आदेश की तामील शब्दश: कराते थे। वहीं आपातकाल के उस दौर में भी संजय की हनक ऐसी थी कि उनका प्रस्ताव भी किसी आदेश जैसा ही था। सो दिल्ली और वर्तमान नोएडा के इस हिस्से में खेतों की जमीन पर एक औद्योगिक शहर बनाने का प्लान तैयार होने लगा। लखनऊ की फाइलों में नोएडा की नींव रखी गई और फिर 17 अप्रैल 1976 को एक ऑर्डिनेंस के रूप में यूपी सरकार की कैबिनेट ने यूपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट आर्डिनेंस-1976 को मंजूरी दे दी।Kahani Uttar Pradesh ki: यूपी के वह सीएम जिनकी इकलौती शेरवानी खो गई तब जाकर दूसरी खरीदने को राजी हुएकौड़‍ियों के दाम खरीदी जमीन नोएडा बनाने के लिए उस वक्त सरकार की जल्दी कितनी थी, इसे इससे समझा जा सकता है कि उस वक्त इस शहर के गठन के लिए सरकार ने लैंड एक्वेजिशन लॉ यानि की भूमि अधिग्रहण कानून के अर्जेंसी क्लॉज को यहां पर लागू कर दिया था। शुरुआती तौर पर गाजियाबाद और बुलंदशहर के तमाम हिस्से अधिग्रहण किए जाने लगे। आज जिस हिस्से में नोएडा का सेक्टर 12/22 और लेबर चौक हैं, वहां के इलाके अधिग्रहण की सूची में सबसे पहले आए। चौड़ा रघुनाथपुर, निठारी समेत तमाम हिस्सों का अधिग्रहण शुरू हुआ और सरकार पर कई इलाकों में जबरन जमीन कब्जाने के आरोप भी लगे। किसानों का कहना था कि सरकार ने उनसे जो जमीन ली उसके लिए प्रतिगज 3-4 रुपये का रेट दिया गया। इन फैसलों का विरोध भी शुरू हुआ और कई किसानों ने जमीन देने और मुआवजा लेने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट तक इसकी लड़ाई भी लड़ी।