नई दिल्लीचार दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने पश्चिम बंगाल से जुड़े मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। पहला मामला पश्चिम बंगाल चुनाव संपन्न होने के बाद वहां हुई हिंसा से जुड़ा है तो वहीं दूसरा मामला नारद स्टिंग का है। पहले जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने चुनाव बाद बंगाल में हिंसा मामले से खुद को अलग किया और अब नारद स्टिंग मामले से जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने खुद को अलग कर लिया। बतौर जज इन दोनों के करियर की शुरुआत कलकत्ता हाई कोर्ट से हुई थी।भारतीय मूल के न्यायाधीश बने कनाडा के उच्चतम न्यायालय में प्रथम अश्वेत न्यायमूर्तिमंगलवार सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने नारद स्टिंग केस की सुनवाई से अपना नाम वापस ले लिया है। उनकी ओर से कहा गया कि वो इस केस की सुनवाई नहीं करना चाहते हैं। इससे पहले पश्चिम बंगाल से जुड़े एक मामले की सुनवाई वाले मामले में जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, क्या पीएम के नेतृत्व वाले NDMA ने कोरोना से मौत पर मुआवजे को लेकर फैसला लिया था?पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद सीबीआई की ओर नारद स्टिंग मामले में सीबीआई ने चार टीएमसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इसका टीएमसी ने खूब विरोध भी किया वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कानून मंत्री ने सीबीआई से अपना पक्ष रखने की अपील की थी जिसे कलकत्ता हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। जिसके बाद इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।CBSE और ICSE का एग्जाम रद्द करने का फैसला सही, SC ने इसे चुनौती देने वाली याचिका खारिज कीवहीं सुप्रीम कोर्ट की जज इंदिरा बनर्जी ने बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा मामले की सुनवाई से 18 जून को खुद को अलग करते हुए कहा कि मैं मामले की सुनवाई नहीं करना चाहती हूं। जस्टिस बनर्जी कोलकाता से हैं। बंगाल हिंसा मामले में पीड़ित परिवार सीबीआई जांच की मांग को लेकर अदालत गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार से इस मामले में जवाब मांगा था। जिस पर राज्य सरकार की ओर से यह कहा गया कि मामला राजनीति से प्रेरित है।