नई दिल्ली : ग्रेटर कैलाश II के ई ब्लॉक में रहने वाली भावना गुप्ता के बेसमेंट में दो साल से लगातार पानी भरा हुआ है। घर को खतरा भांपकर उन्होंने हाल ही में एक स्ट्रक्चरल इंजिनियर से संपर्क साधा है। गुप्ता जैसे कई लोग हैं जो इस समस्या से अपने स्तर पर जूझ रहे हैं क्योंकि सरकारी एजेंसियां नाकाम हुईं। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (CGWB) ने साउथ दिल्ली के कई इलाकों में अंडरग्राउंड वाटर कम (Depleting underground water in South Delhi) होने की चेतावनी दी है। कुछ जगहों पर लेवल 50 मीटर से नीचे चला गया है। इसके बावजूद ग्रेटर कैलाश, अमर कॉलोनी, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नैशनल पार्क (लाजपत नगर IV), चितरंजन पार्क और अन्य जगहों पर ऐसा लगता है कि पानी जमीन के ज्यादा नीचे नहीं है। इमारतों के बेसमेंट्स में रिसाव (Seepage in basements) हो रहा है और इमारतों को खतरा पैदा हो गया है। ई ब्लॉक में ही रहने वाले भारत आहूजा ने कहा, ‘सिविक अथॉरिटीज ने दावा किया कि पिछले साल प्रॉब्लम सॉल्व हो गई है मगर सच में कुछ नहीं बदला है। असल में, चीजें और खराब हो गई हैं। अब बगल के सीआर पार्क में रहने वाले भी बेसमेंट में पानी भरने की शिकायत कर रहे हैं।’ अगस्त 2020ग्रेटर कैलाश II के निवासियों ने बेसमेंट में सीपेज की शिकायत की।कई घरों ने पानी निकालने के लिए पंप लगवा रखे हैं।नागरिकों ने सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (CGWB), साउथ दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, दिल्ली जल बोर्ड, पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन तक से संपर्क किया।अक्टूबर 2020 के बाद क्या?दिल्ली हाई कोर्ट ने SDMC को निर्देश दिया कि इलाके के सभी बरसाती नालों को साफ किया जाए।CGWB के वैज्ञानिकों ने सर्वे किया और कुछ जगहों से बोरवेल के जरिए पानी निकालने का सुझाव किया।जॉइंट इंस्पेक्शन के बाद DJB ने छह बोरवेल ऐक्टिवेट किए।Delhi Unlock : दिल्ली में आज से भीड़ रिटर्न्स… बाहर निकलने से पहले मेट्रो, बस का हर अपडेट पढ़ लेंसीपेज क्यों?अपनी फाइनल रिपोर्ट में CGWB ने तीन मुख्य वजहें गिनाईं।DJB की तरफ से सभी घरेलू ट्यूबवेल्स को बंद किया जाना, इससे ग्राउंडवाटर विड्रॉल कम हुआग्रेटर कैलाश मेट्रो स्टेशन पर अंडरग्राउंड प्रोटेक्शन वॉल्स का निर्माण सतह से 32 मीटर नीचे करना, जिससे नैचरल ग्राउंडवाटर फ्लो घटा2020 में हुई भारी बारिशक्या सुझाव दिए?DJB को E, M और S ब्लॉक में सप्लाई के लिए ग्राउंडवाटर यूज करना चाहिए।साइंटिफिकली एक्सट्रैक्शन पॉइंट्स की पहचान की जाए।नागरिकों का क्या कहना है?ट्यूबवेल्स चौबीसों घंटे नहीं चलते।एक्सट्रैक्शन पॉइंट्स का पता नहीं।सिर्फ सात घंटे पानी निकालते हैं बोरवेलनागरिकों के अनुसार, बोरवेल जहां-तहां खोद दिए गए। गुप्ता ने दावा किया, ‘बोरवेल की गहराई भी 200 फीट है जबकि पानी 18-20 फीट पर एक्यूफर से खींचना था।’ CGWB ने 18-20 घंटों तक पानी निकालने का सुझाव किया था मगर GKII वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय राणा ने कहा, ‘पानी रोज सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक, सिर्फ सात घंटे तक निकाला जाता है। हमें DJB से अभी का तीना गुना पानी निकालने और पानी को रिजर्वायर तक ले जाने के लिए एक पाइपलाइन बिछाने की गुहार लगाई है।’DJB के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘GKII से अंडरग्राउंड रिजर्वायर तक पानी ले जाने के लिए दो प्रॉजेक्ट क्लियर हो चुके हैं। एक पर काम चल रहा है, दूसरा जल्द शुरू हो जाएगा।’ कालकाजी में भी ऐसी ही दिक्कत है जहां का पूर्णिमा सेठी अस्पताल रिसे हुए पानी में डूबा है। न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी से सटे सराय जुलेना में SDMC की मल्टिलेवल कार पार्किंग 2017 में बनकर तैयार हो गई थी मगर अब तक पूरी क्षमता से नहीं शुरू हो पाई क्योंकि बेसमेंट में पानी भरा हुआ है।PUC Certificate: PUC सर्टिफिकेट पाना हुआ आसान, अब OTP की जरूरत नहींIIT दिल्ली के सिविल इंजिनियरिंग डिपार्टमेंट में प्रफेसर, एके गोसाईं ने कहा कि पूरे इलाके की भौगोलिक स्थिति को समझने के लिए साइंटिफिक स्टडी की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘एक इलाके में पानी बहने की वजह दूसरे इलाके से अलग हो सकती है।’सीलन और रिसाव से परेशान हैं साउथ दिल्ली के लोग।