इंदौरमध्य प्रदेश के इंदौर में 12 वर्ष की दिव्यांग बच्ची सिमी दत्त ने कोरोना को मात दे दी। पिछले चार साल से वह एक ही लंग्स से सांस लेती है। उसके एक हाथ और किडनी भी नहीं हैं। कोरोना संक्रमित होने के बाद उसके शरीर में ऑक्सिजन का लेवल 40-50 तक गिर गया था। इसके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और कोरोना वायरस के चंगुल से छूटने में सफल रही।कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सिमी की मां संक्रमित हो गईं। अचानक ही उसका ऑक्सिजन लेवल 50 से नीचे लगा गया। सिमी को संक्रमण हुआ तो डॉक्टर के निर्देश पर उसे घर में ही ऑक्सिजन और बाईपेप लगाई गई। 12 दिन के लगातार संघर्ष के बाद उसने कोरोना को हरा दिया।सिमी शहर के सांघी कॉलोनी में रहती है। उसके पिता इलेक्ट्रिक सामानों का व्यवसाय करते हैं। 2009 में सिमी का जन्म हुआ, तो उसका बायां हाथ नहीं था। उसकी किडनी भी अविकसित थी। जन्म के 8 साल बाद एक फेफड़ा भी सिकुड़ गया। तब से वह एक ही फेफड़े से सांस लेती है।सिमी के पिता ने बताया, “बचपन से ही मेरी बेटी की एक लंग्स, किडनी और एक हाथ विकसित नहीं हुआ। कोरोना में इनका ऑक्सीजन स्तर 40-50 तक गिर गया था। हमने लगातार सिमी को बाईपाइप ऑक्सीजन पर लगाए रखा।”फेफड़े की सिकुड़न की वजह से सिमी का ऑक्सिजन लेवल 60 तक पहुंच जाता है। उसे हर रोज रात में ऑक्सिजन लगाई जाती है। उसे जब कोरोना का संक्रमण हुआ तो परिवार वालों को भी उसके बचने की कम ही उम्मीद थी, लेकिन अपनी जिजीविषा के बूते उसने असंभव को भी संभव कर दिखाया।