नई दिल्ली : आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच में बुधवार को नौवें दिन सुनवाई (Supreme Court Hearing on Abrogation of Article 370) चल रही है। सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्टिकल 1 भारतीय संविधान का स्थायी हिस्सा है, उसे कभी भी संशोधित नहीं किया जा सकता। वहीं, आर्टिकल 370 कभी भी स्थायी प्रकृति (Article 370 Permanent or Temporary) का नहीं था। सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ताओं के एक वकील ने इस तरह की चिंता जताई कि आर्टिकल 370 की तरह ही नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को विशेष दर्जे को भी खत्म किया जा सकता है। इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आर्टिकल 370 जैसे स्थायी प्रावधानों और नॉर्थ ईस्ट के लिए जो स्पेशल प्रोविजन्स हैं, उनमें अंतर को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नॉर्थ-ईस्ट से जुड़े विशेष प्रावधानों को नहीं छुएगी।सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि उसका देश के पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए लागू संविधान के विशेष प्रावधानों को छूने का कोई इरादा नहीं है। केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संविधान के आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के कदम को सही ठहराया जिससे पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा खत्म हो गया। उन्होंने दलील दी कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान था।उन्होंने कहा, ‘हमें आर्टिकल 370 जैसे अस्थायी प्रावधानों और नॉर्थ ईस्ट के लिए लागू विशेष प्रावधानों का फर्क समझना चाहिए। विशेष प्रावधानों को छूने की केंद्र सरकार की कोई मंशा नहीं है। इसके गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। इसे लेकर कहीं कोई चिंता नहीं है न ही किसी तरह की आशंका को पैदा करने की जरूरत है।’कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें आखिर आशंकाओं में जाना ही क्यों चाहिए? जब केंद्र ने कह दिया है कि उसकी ऐसी कोई मंशा नहीं है, तो हमें इन सबकी आशंका क्यों जतानी चाहिए। केंद्र सरकार के बयान ने सभी आशंकाओं को दूर कर दिया है।बुधवार को याचिकाकर्ताओं की तरफ स नित्या रामाकृष्णन ने दलीलों की शुरुआत की। उनके बाद सीनियर ऐडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने दलीलें रखी। सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके कौल ने कहा कि आर्टिकल 370 अस्थायी था। हालांकि, अभी इस पर बहस चल रही है कि अस्थायी था या नहीं।सुनवाई के दौरान ऐडवोकेट वारीशा फरासत ने वही दलील दोहराई जो पहले कपिल सिब्बल कई बार दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 को सिर्फ कॉन्स्टिट्यूएंट असेंबली ही खत्म कर सकती है, कोई दूसरा रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि एब्रोगेशन के दौरान क्या हुआ? तीन (पूर्व) मुख्यमंत्रियों को हिरासत में ले लिया गया।ऐडवोकेट जहूर अहमद भट ने अपनी दलीलें रखते हुए कहा कि एक राज्य को स्पेशल स्टेटस मिला हुआ था। उसको खत्म करके अब उसे दो यूनियन टेरिटरी में बांट दिया गया। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों और को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म का उल्लंघन है।