Supreme Court Hearing On Article 370 Highlights,हमें ये देखना है संविधान का उल्लंघन तो नहीं हुआ, सरकार की मंशा चाहे जो रही हो…370 पर दवे की दलील पर सुप्रीम कोर्ट – supreme court hearing on article 370 abrogation day seven key points

नई दिल्ली : संविधान के आर्टिकल 370 को बेअसर करने (Abrogation of Article 370) के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Hearing on 370) में सुनवाई हुई। अगस्त 2019 में सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को खत्म कर दिया था। गुरुवार को सुनवाई के सातवें दिन के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने को सिर्फ इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि इसमें संवैधानिक प्रावधानों का कथित तौर पर उल्लंघन हुआ है। इस आधार पर नहीं कि इस कदम को उठाने के लिए सरकार की मंशा क्या थी या उसका विवेक क्या था। अगली सुनवाई अब 22 अगस्त मंगलवार को होगी।सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, संजय खन्ना, बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ने ये टिप्पणी याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए सीनियर ऐडवोकेट दुष्यंत दवे की दलील पर की। दवे ने दलील दी कि आर्टिकल 370 को आर्टिकल 370 (3) का इस्तेमाल करके ‘खत्म’ नहीं किया जा सकता था। इस पर जस्टिस कौल ने कहा, ‘ये संविधान के प्रावधानों में मौजूद है…अब संविधान के हर प्रावधान जम्मू और कश्मीर पर लागू होंगे।”क्या आप चाहते हैं कि सरकार की मंशा क्या थी, उसकी समीक्षा हो?’इस दौरान सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार के इस कदम के पीछे सरकार की मंशा क्या था या उसका विवेक कैसा था, उसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। सीजेआई ने कहा, ‘आप आर्टिकल 370 खत्म करने के पीछे सरकार की क्या मंशा थी, उसकी न्यायिक समीक्षा चाहते हैं? न्यायिक समीक्षा सिर्फ संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन पर होगी। लेकिन आप चाहते हैं कि हम आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के फैसले के पीछे जिस विवेक का इस्तेमाल हुआ, उसकी न्यायिक समीक्षा करें?’दवे ने दिया आर्टिकल 370 पर कथित गलत नैरेटिव का हवालाइस पर दवे ने जवाब दिया कि वह तो पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को मिले विशेष दर्जे को खत्म करने के लिए संविधान से किए गए ‘धोखाधड़ी’ की तरफ इशारा कर रहे थे। सुनवाई के दौरान दवे ने ये भी दलील दी कि आर्टिकल 370 को सिर्फ संविधान में संशोधन के जरिए ही खत्म किया जा सकता था। उन्होंने कहा, ‘एक नैरेटिव है कि आर्टिकल 370 की वजह से ही जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है, लेकिन ये पूरी तरह गलत है। जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है। यहां तक कि जवाहर लाल नेहरू ने भी इस नैरेटिव को खारिज किया।’दवे की दलील- 370 (3) के तहत राष्ट्रपति की शक्तियां निष्प्रभावी हो चुकी थींदवे ने गुरुवार को बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि आर्टिकल 370 अपनी उम्र पूरा कर चुका था और अपने उद्देश्यों को हासिल कर चुका था। उन्होंने कहा कि 370 (1) इसलिए बचा रहा क्योंकि अगर बाद में संविधान में संशोधन होते तो नए आर्टिकल्स को जम्मू-कश्मीर पर भी लागू करना होता। उसमें इस क्लॉज का इस्तेमाल हो सकता है। लेकिन जहां तक 370 (3) की बात है तो राष्ट्रपति की उससे जुड़ी शक्तियां निष्प्रभावी हो चुकी थीं।सीजेआई ने पूछा- अगर 370 (1) का अस्तित्व था तो 370 (3) का क्यों नहींइस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि अगर आर्टिकल 370 अपना उम्र पूरा कर चुका था तो 1957 में राज्य की संविधान सभा भंग होने के बाद भी कॉन्स्टिट्यूशल ऑर्डर क्यों लागू किए जाते रहें। सीजेआई ने कहा कि इसका मतलब है कि 370 अस्तित्व में बना हुआ था, संवैधानिक संशोधन भी होते रहे जो 2019 तक जारी रहे। उन्होंने पूछा कि अगर आप ये कह रहे हैं कि 370 (1) अस्तित्व में बना हुआ था तो आप ये नहीं कह सकते कि 370 (3) का वजूद खत्म हो चुका था। या तो सभी चीजें एक साथ वजूद में होंगी या फिर एक साथ खत्म होंगी।