नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दो साल के एक बच्चे की अर्जी को खारिज करते हुए कहा है कि सभी समस्याओं का समाधान सुप्रीम कोर्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या दो साल के एक बच्चे को याचिकाकर्ता बनाकर कोई और लोग को उसको मुखौटे के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं? दरअसल सुप्रीम कोर्ट में 2019 में दो साल के बच्चे की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया था कि देश में अवैध मानव अंग तस्करी पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच के सामने यह मामला सुनवाई के लिए शुक्रवार को आया। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान सवाल किया कि क्या बालक को अन्य लोगों द्वारा मुखैया बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि ऐसे लगता है कि अन्य मकसद के लिए बच्चे को मुखैटा बनाया गया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हर समस्या के लिए रामबाण नहीं हो सकता है।जस्टिस कौल की बेंच ने कहा कि हर समस्या का समाधान सुप्रीम कोर्ट नहीं हो सकता है। याचिका में मानव अंग तस्करी रोकने का निर्देश की मांग करते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि वर्मा कमिटी की सिफारिश में इस मुद्दे को देखा गया था और ऐसे में अथॉरिटी याचिका में जो सवाल उठाया गया है उसे देख सकता है।सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में रिट दाखिल कर निर्देश की मांग की गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी। याचिकाकर्ता बच्चे की ओर से उनकी मां ने अर्जी दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि मानव अंग की तस्करी हो रही है और गरीबों के अंग निकाले जा रहे हैं और उसका व्यापार हो रहा है। मामले में सीबीआई जांच की मांग भी की गई थी। लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि हर समस्या का समाधान सुप्रीम कोर्ट नहीं हो सकता है।