नई दिल्लीसुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार केरल के पूर्व मंत्री टी जलील की उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें उन्होंने लोकायुक्त की रिपोर्ट पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जलील ने एक लोकसेवक के तौर पर अपने पद का दुरुपयोग रिश्तेदार को लाभ पहुंचाने के लिए किया। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस याचिका पर तब विचार करती अगर मामला अनिश्चित और अस्पष्ट आरोप को लेकर होता, लेकिन यह स्पष्ट रूप से रिश्तेदार को लाभ पहुंचाने का मामला है। पीठ द्वारा मामले की सुनवाई से इनकार करने का आभास होने पर मंत्री के वकील ने आवेदन वापस ले लिया और मामले को याचिका वापसी के साथ खारिज कर दिया गया।Kisan Andolan : ‘आपने दिल्ली का गला घोंट दिया’ समझिए किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसापूर्व मंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया कि लोकायुक्त बिना उनके मुवक्किल को सुने निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। उन्होंने अदालत के समक्ष कहा कि पूर्व मंत्री के रिश्तेदार ने प्रतिद्वंद्वी मुस्लिम लीग पार्टी के सदस्य के खिलाफ एनपीए खाते से एरियर निकासी को लेकर प्रक्रिया शुरू किए जाने के बाद शिकायत दर्ज कराई थी।’स्किन टू स्किन टच’ वाले बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश होगा खारिज? सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसलागौरतलब है कि जलील ने इस साल 13 अप्रैल को सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक गठबंधन (एलडीएफ) सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने यह कदम लोकायुक्त की रिपोर्ट के बाद उठाया जिसमें कहा गया था कि जलील ने अपने रिश्तेदार को केरल राज्य अल्पसंख्यक विकास वित्त निगम (केएमसएमडीएफसी) में महाप्रबंधक के पद पर नियुक्त कर मंत्री पद की शपथ का उल्लंघन किया है।