नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court news) ने व्यवस्था दी है कि संवैधानिक स्कीम कहता है कि अगर अडवाइजरी बोर्ड कन्फर्म करता है तो किसी भी शख्स को ऐहतियातन हिरासत (Preventive Detention rules) में तीन महीने से ज्यादा रखा जा सकता है। तीन महीने से ज्यादा न रखने का प्रावधान तब लागू नहीं होगा जब अडवाइजरी बोर्ड इसके लिए कन्फर्म करेगा। अडवाइजरी बोर्ड के कन्फर्मेशन के बाद किसी शख्स को 12 महीने तक ऐहतियातन हिरासत में रखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अडवाइजरी बोर्ड ने प्रिवेंटिव डिटेंशन (एहतियातन हिरासत) में रखने के लिए अपना कन्फर्मेशन दे दिया है तो फिर राज्य सरकार को हर तीन महीने में अपने आदेश को रिव्यू करने की जरूरत नहीं है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद-22 (4) गिरफ्तारी से प्रोटेक्शन देता है और कुछ केसों में हिरासत में लेने की बात करता है। अनुच्छेद-22 (4) में ऐहतियातन तीन महीने हिरासत में रखने का प्रावधान है। लेकिन अडवाइजरी बोर्ड की रिपोर्ट के बाद समय का कोई प्रतिबंध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने अपने 75 पेज के ऑर्डर में कहा है कि अगर अडवाइजरी बोर्ड के कन्फर्मेशन वाले ऑर्डर में हिरासत की अवधि तय है तो उस अवधि तक हिरासत होगी और अगर कोई समय नहीं लिखा हुआ है तो यह अधिकतम 12 महीने हो सकता है। राज्य सरकार को कन्फर्मेशन वाले आदेश आने के बाद हर तीन महीने में अपने ऑर्डर को रिव्यू करने की जरूरत नहीं है।सुप्रीम कोर्ट में पी. नोकाराजू नाम के एक शख्स के हिरासत का मामला आया था। उसी मामले में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने ये आदेश दिया। याची को 25 अगस्त 2022 को आंध्र प्रदेश प्रिवेंशन ऑफ डेंजरस एक्टिविटी, ड्रग ऑफेंडर, इमोरल ट्रैफिक ऑफेंडर्स एंड लैंड ग्रेबर ऐक्ट के तहत हिरासत में लिया गया था। काकीनाडा जिले के डीएम ने हिरासत का आदेश दिया था ।इसके खिलाफ अर्जी आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत ने अर्जी खारिज करते हुए कहा कि एक बार अगर अडवाइजरी बोर्ड ने हिरासत को कन्फर्म कर दिया है तो फिर ऐसे शख्स को 12 महीने तक प्रिवेंटिव हिरासत में रखा जा सकता है।