‘एक वक्त मैं टूट गया था… खुद को नए सिरे से तैयार किया’बीकानेर के रहने वाले प्रतीक शर्मा ने आईआईटी दिल्ली से 2015 में सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। आज वह अपनी कंपनी चलाते हैं। प्रतीक शर्मा ने आईआईटी में एडमिशन के लिए कोटा में रह कर ही तैयारी की थी। वह बताते हैं कि वो 15 साल की उम्र में कोटा चले गए थे। उन दिनों कोटा आईआईटी और नीट की तैयारी के मामले में काफी पीक पर था। कोचिंग के नजदीक हॉस्टल में रहने लगा। पहली बार घर से बाहर आया था तो ऐसे में बिल्कुल मन नही लग रहा था। लाखों की संख्या में स्टूडेंट्स थे। काफी प्रेशर था। प्रतीक बताते हैं कि हुआ यूं कि मैं पहले साल एग्जाम में बैठा लेकिन सफलता नहीं मिली। पैरेंट्स की तरफ से दबाव था कि मैं किसी प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन ले लूं। उस दौरान मैं काफी परेशान हो गया था। यूं कहें तो काफी टूट चुका था। लेकिन टीवी पर एक एड देखा, जिसका मेसेज यह था कि पहलवान वही है जो गिरकर फिर से उठे और अगली फाइट के लिए तैयार हो जाए। इसके बाद मैंने मन बनाया कि कुछ भी होगा एक बार और तैयारी करूंगा।कोटा में भटकाव हैं बहुत, खुद पर संयम जरूरी’ग्वालियर के रहने वाले स्पर्श गुप्ता ने आईआईटी हैदराबाद से मैथमेटिक्स एंड कंप्यूटिंग में बीटेक की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने जेईई की तैयारी कोटा से की और 925वीं रैंक हासिल की। स्पर्श गुप्ता बताते हैं कि मेरे लिए कोटा में मोटिवेशन का माध्यम सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई ही रहा। वह बताते हैं कि मुझे यह शुरू से पता था कि हम इतने बड़े कॉम्पिटिशन के लिए जा रहे हैं, जहां हमारे कॉम्पिटिशन लाखों में होंगे। ऐसी स्थिति में तो पढ़ाई के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। इसकी वजह से मैंने खुद को पढ़ाई पर फोकस किया। वह बताते हैं कि मैंने भी अपनी शुरुआत लो बैच से ही थी। मेहनत करता गया और कोचिंग में प्रमोट होता गया। स्टार बैच का भी हिस्सा रहा। इसका नतीजा यह हुआ कि मैंने पहले प्रयास में आईआईटी क्लियर कर लिया। वह बताते हैं कि कोटा में कॉम्पिटिशन की वजह से माहौल तो काफी तनावपूर्ण है। इसके साथ भटकाव और बिगड़ने के जितने भी संसाधन हो सकते हैं, वह कोटा में मौजूद हैं। यहां कुछ पाने के लिए मन बांध कर चलना होता है। अगर कोई स्टूडेंट किसी वजह से पढ़ नहीं पा रहे हैं, तो पैरेंट्स को उसे बुला लेना चाहिए। दुनिया में और भी करियर बनाने के लिए काफी विकल्प हैं, जो आईआईटी या नीट से बेहतर हैं। कई बार मेहनत के बाद भी परिस्थितियां अपने पक्ष में नहीं होती हैं। स्पर्श गुप्ता बताते हैं कि उनका रूम पार्टनर पढ़ाई में काफी अच्छा था, लेकिन एक वक्त बाद उनका पढ़ाई से मन उचटने लगा। वह गलत संगत में भी नहीं था। उनको हम दोस्तों ने काफी मोटिवेट किया। बाद में उसे आईआईटी तो नहीं मिली, लेकिन उसे भी अच्छा कॉलेज मिला।‘हर मोड़ पर सोचा कि लौट जाएं… लेकिन अधूरा रह जाता सपना’उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के बिल्कुल निरीह ग्रामीण इलाके रहने वाले अरुण मौर्या केजीएमयू लखनऊ में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। वह साल 2018 में नीट परीक्षा में बैठे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। फिर उन्होंने तैयारी के लिए कोटा जाने के लिए अपने पैरेंट्स से कहा तो उनके पापा ने इस प्रस्ताव को सिरे से मना कर दिया। लेकिन उनकी मां के दबाव की वजह से उनके पापा किसी तरह कोटा भेजने के लिए तैयार हुए। पापा ने कहा कि जो करना है, सिर्फ एक साल के अंदर कर लेना। अरुण बताते हैं कि जब मैं कोटा पहुंचा तो यहां सिर्फ और सिर्फ कॉम्पिटिशन का माहौल था और ऊपर से पैरेंट्स का दबाव था। यहां आने के बाद एक महीने घर से दूर अकेलापन परेशान करता रहा। अरुण बताते हैं कि मैं पढ़ाई तो कर रहा था लेकिन प्रेशर की वजह से अवसाद भी बढ़ता जा रहा था। हर वक्त इसी ख्याल में रहता था कि अगर इस बार नीट क्लीयर नहीं हुआ तो पापा वापस बुला लेंगे और फिर जिंदगी में कुछ नहीं बचेगा। लेकिन उन्होंने कोटा में अपने दोस्त बनाए, उनसे अपने मन की बातों को शेयर करना शुरू किया। फिर टीचर्स से भी खुल कर अपनी समस्याओं को रखने लगे। फिर उन्हें पता लगा कि मैं जिस समस्या से यहां जूझ रहा हूं, उससे यहां हर कोई जूझ रहा है। इससे निकलने के लिए मेरे पास सिर्फ एक ही रास्ता है, वह है पढ़ाई का रास्ता। अरुण मौर्या बताते हैं कि जब भी मैं परेशान हुआ तो अपने टीचर से भी इस बारे में बात की। टीचर ने मुझसे कहा कि सिर्फ ये सोचो कि मेरा काम है अपना बेस्ट देना। अगर तब भी कसर रह जाती है तो फिर प्लान-बी की दुनिया में कमी नहीं है। इसके बाद पढ़ाई के साथ-साथ एक नियत समय निकाल कर पार्क में घूमना, मेडिटेशन करना और दोस्तों बात करना शुरू कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि कोचिंग में भी वह अच्छा प्रदर्शन करने लगे। वह बताते हैं कि मैंने यह तय किया था कि अगर मैं अपने 100 पर्सेंट प्रयास के बावजूद नीट में सिलेक्ट नहीं हो पाता तो मैं टीचिंग लाइन में जाऊंगा। लेकिन 8 महीने की कड़ी मेहनत के बाद अरुण मौर्या ने नीट क्लियर कर लिया।हमसे शेयर करें अगर हो कोई टेंशनअगर पैरंट्स अपने बच्चों की तैयारी को लेकर स्ट्रेस में हैं या कोई टेंशन है तो हमसे शेयर करें। हमें [email protected] पर ईमेल करें। सब्जेक्ट में लिखें KOTAमहत्वपूर्ण जानकारीसभी मानसिक समस्याओं का इलाज हो सकता है। मनोचिकित्सक की मदद से आपको तुरंत मदद मिल सकती है। इसके लिए कई हेल्पलाइन नंबर्स हैं, जहां आप संपर्क कर सकते हैं।सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की हेल्पलाइन – 1800-599-0019 (13 भाषाओं में है)इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज -9868396824, 9868396841, 011-22574820हितगुज हेल्पलाइन, मुंबई- 022- 24131212नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस -080 – 26995000