अखिलेश प्रताप सिंह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा था कि वह इस बात को पक्का करेंगे कि उनके तीसरे कार्यकाल में इंडिया की इकॉनमी 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाए और दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच जाए। अभी पहले नंबर पर अमेरिका, दूसरे पर चीन, तीसरे पर जापान और चौथे पर जर्मनी हैं। GDP के लिहाज से भारत की अर्थव्यवस्था पांचवें नंबर पर है। पीएम ने जो कहा है, वैसा होना खास मुश्किल नहीं है। आइए देखते हैं कि ऐसा होना क्यों आसान बताया जा रहा है और इसका कैसा असर दिखेगा।
लक्ष्य से आगे
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अब से लेकर साल 2030 तक इंडिया की नॉमिनल GDP ग्रोथ 10 पर्सेंट सालाना रहेगी। इस रफ्तार से 2030 तक भारत का GDP 5 नहीं, बल्कि 6 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा। अभी भारत का GDP साढ़े 3 ट्रिलियन डॉलर के आसपास है।
दूसरे देशों से भारत का जो व्यापार है, उसका सबसे ज्यादा योगदान होगा GDP बढ़ाने में। फाइनैंशल ईयर 2023 में एक्सटर्नल ट्रेड 1.2 ट्रिलियन डॉलर का था। यह साल 2030 तक बढ़कर 2.1 ट्रिलियन डॉलर हो सकता है।
इसके बाद ग्रोथ में योगदान होगा देश के भीतर होने वाली खरीद-फरोख्त का। स्टैंडर्ड चार्टर्ड की रिपोर्ट कहती है कि फाइनैंशल ईयर 2021 में इस हाउसहोल्ड कंजम्पशन का साइज 2.1 ट्रिलियन डॉलर का था, लेकिन वित्त वर्ष 2030 तक यह बढ़कर 3.4 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वित्त वर्ष 2023 में भारत में प्रति व्यक्ति आमदनी 2450 डॉलर थी, लेकिन फाइनैंशल ईयर 2030 तक यह लगभग 70 प्रतिशत बढ़ जाएगी। तब इंडिया की प्रति व्यक्ति आय 4000 डॉलर हो जाएगी। इस तरह इंडिया मिडल इनकम इकॉनमी बन जाएगा।
साल 2030 तक देश के कम से कम 9 राज्य ऐसे होंगे, जहां की प्रति व्यक्ति आमदनी 4000 डॉलर होगी। अभी इस कैटिगरी के करीब केवल तेलंगाना है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने जो अनुमान लगाया है, कुछ वैसा ही अनुमान दूसरे लोग भी लगा रहे हैं। ANZ रिसर्च के इकनॉमिस्ट धीरज लिम का कहना है कि साल 2030 तक भारत की औसत ग्रोथ 8 प्रतिशत रहने का अनुमान है और तब तक भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगी। साल 2030 तक भारत का नॉमिनल GDP 7 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो सकता है।
जानकार बताते हैं कि भारत कुछ मोर्चे पर स्थिति मजबूत कर ले तो GDP ग्रोथ छलांगें लगाती दिखेगी
लेकिन ANZ रिसर्च के इकनॉमिस्ट का यह भी कहना है कि अभी जो हाल है, अगर ऐसा ही बना रहा, तो साल 2030 तक भारत की ऐवरेज GDP ग्रोथ 6.2 प्रतिशत तक ही रह जाने का खतरा है। यह 2019 तक के 10 वर्षों में दिखी ऐवरेज ग्रोथ से कम होगी। उस दौरान औसत GDP ग्रोथ 7.1 प्रतिशत थी। यही नहीं, 2030 के बाद साल 2050 तक GDP ग्रोथ घटकर 4 प्रतिशत तक जा सकती है। इस लिहाज से ANZ रिसर्च के अर्थशास्त्री कुछ चुनौतियों का जिक्र करते हैं।
भारत की लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) घट रही है। यानी लेबर फोर्स में 15 से 64 साल की कामकाजी उम्र वाले लोगों की हिस्सेदारी कम हो रही है। खासतौर से महिलाओं की।
वर्ल्ड बैंक का कहना है कि साल 2000 में भारत का LFPR 60 प्रतिशत था, जो अब घटकर 53 प्रतिशत के आसपास आ गया है।
भारत की वर्कफोर्स पढ़ाई-लिखाई के मामले में भी काफी पीछे है। बालिग कामकाजी लोग मुश्किल से 6.7 साल की औसत स्कूलिंग वाले हैं।
स्किल इंडिया जैसे कदम ठीक हैं, लेकिन इनका दायरा और इनकी क्वॉलिटी बेहतर करनी होगी। भारत की वर्कफोर्स का महज 2.3 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है, जिसने स्किल डिवेलपमेंट का कोई औपचारिक प्रशिक्षण लिया है।
इन बातों को देखते हुए पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि भारत तूफानी रफ्तार से आगे बढ़ेगा। इसके लिए कई मोर्चों पर काम करना होगा।
इंडिया को खेती-बाड़ी से सरप्लस लेबर को मैन्युफैक्चरिंग की ओर लाना होगा। RBI के आंकड़े बताते हैं कि रोजगार में खेती-बाड़ी की हिस्सेदारी 1980 के दशक में 72 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 50 प्रतिशत के आसपास आ गई है।
खेती-बाड़ी से जो लेबर हटा है, वह मोटे तौर पर या तो कंस्ट्रक्शन में गया है या ट्रेड से जुड़ी सेवाओं में, जहां मैन्युफैक्चरिंग जैसी प्रॉडक्टिविटी नहीं होती।
रोजगार के मौकों के लिहाज से मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत के आसपास ही बनी हुई है। इस हालत को बदलना होगा।
लिम कहते हैं कि अगर रोजगार के अधिक मौके बनें, लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट बढ़कर 60 प्रतिशत हो जाए, लोगों की पढ़ाई-लिखाई बेहतर हो, उनकी ऐवरेज स्कूलिंग 12 साल तक पहुंच जाए और प्रॉडक्टिविटी बढ़ जाए, तो साल 2040 तक भारत की प्रति व्यक्ति आय 13 हजार डॉलर से ज्यादा हो सकती है।
लिम की तरह स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की रिपोर्ट में भी कुछ चिंताएं जताई गई हैं। कहा गया कि देश की प्रति व्यक्ति आमदनी साल 2030 तक भले ही 4000 डॉलर तक पहुंच जाए, लेकिन बड़ी आबादी वाले दो राज्य- यूपी और बिहार बाकियों से काफी पीछे दिखेंगे। यूपी, बिहार में भी प्रति व्यक्ति आमदनी बढ़ेगी, लेकिन उसके 2000 डॉलर तक ही पहुंच पाने का अनुमान है। इसका मतलब यह है कि देश की 25 प्रतिशत आबादी के लिए प्रति व्यक्ति आमदनी साल 2030 तक 2000 डॉलर ही होगी।
रोजगार की चिंता
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की रिपोर्ट में रोजगार के मौके घटने पर भी चिंता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि इंडिया की इकॉनमिक ग्रोथ तेज करने के लिए आर्थिक सुधारों की रफ्तार बढ़ानी होगी, फाइनैंशल सेक्टर की हालत सुधारनी होगी, कॉरपोरेट सेक्टर में कर्ज घटाना होगा, सरकार को कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाना होगा और रोजगार के ज्यादा मौके बनाने होंगे।
डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं