नई दिल्लीहाल ही में तेलंगाना कांग्रेस को उसका नया प्रदेशाध्यक्ष मिला है, लेकिन नया अध्यक्ष मिलने के बाद पार्टी में विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस हाइकमान ने 52 वर्षीय लोकसभा सांसद ए रेवंत रेड्डी को प्रदेश की कमान सौंपी है। लेकिन अब उन्हीं के खिलाफ पार्टी के भीतर असंतोष उभरने लगा है। यहां तक कि उनके सहयोगी सांसद के वेंकट रेड्डी ने तो बाकायदा इस कदम को लेकर राज्य के प्रभारी माणिक टैगोर से लेकर रेवंत रेड्डी तक पर निशाना साधा है। टैगोर पर रेड्डी का बड़ा आरोपवेंकट रेड्डी ने दावा किया है कि टैगोर ने पैसों के बदले प्रदेशाध्यक्ष के पद को बेच दिया। वहीं दूसरी ओर उन्होंने आरोप लगाया कि जैसे रेवंत रेड्डी ने टीडीपी नेता रहते हुए 2015 में कैश फॉर वोट घोटाला किया था, वैसा ही अब कैश फॉर पोस्ट घोटाला किया है। रोचक है कि वेंकट रेड्डी भी प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में शामिल थे। जबकि इससे पहले लोकसभा सांसद उत्तम कुमार रेड्डी के पास यह कमान थी। उत्तम कुमार तेलंगाना राज्य के बनने के बाद से ही पिछले सात साल से यह जिम्मेदारी देख रहे थे। पिछले दिनों हैदराबाद नगर निगम इन्होंने पद से इस्तीफा दिया था। रेवंत को लेकर तमाम विरोधपार्टी में रेवंत का विरोध किए जाने के पीछे उनके विरोधी खेमे की कई दलीलें हैं। इनकी सबसे बड़ी शिकायत है कि जो व्यक्ति 2018 में कांग्रेस में शामिल होता है, उसे तीन साल के भीतर प्रदेश नेतृत्व सौंप दिया जाता है। दरअसल, बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने चाले रेवंत ने आगे चलकर टीडीपी को अपना ठिकाना बनाया, जहां वह टीडीपी के टिकट पर दो बार विधायक बने। इतना ही नहीं एलएलसी के चुनाव में उनके खिलाफ पैसों के बदले टीआरएस के वोट खरीदने का आरोप लगा। उसके कुछ अर्से बाद वह कांग्रेस में आए।सीनियर नेताओं ने किया था विरोधपार्टी के एक नेता का दावा था कि रेवंत को कमान दिलाने में प्रदेश की रियल इस्टेट लॉबी की अहम भूमिका रही है। कहा जाता है कि पार्टी में एक धड़ा लंबे समय से इनका नाम चला रहा था। इसका अंदेशा होते ही पार्टी में विरोध होने लगा था। यहां तक कि पार्टी सीनियर नेता व पूर्व सांसद वी हनुमंत राव ने कुछ दिन पहले ही बाकायदा सोनिया गांधी को लेटर लिखकर हाइकमान से कहा था कि पार्टी में अध्यक्ष पद पर फैसला करने से पहले हाइकमान एआईसीसी पर्यवेक्षक भेजकर सभी नेताओं से राय मशविरा कर लें। पार्टी नेताओं के बीच मतभेदसिर्फ प्रभारी के रिपोर्ट या फीडबैक के आधार पर लिया गया फैसला पार्टी के हितों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। यहां तक कि उन्होंने जिक्र किया था कि पिछले कुछ सालों से पार्टी के भीतर कांग्रेस के वफादार नेताओं और अन्य दलों से पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं के बीच मतभेद चल रहा है। इतना ही नहीं, उन्होंने रेवंत रेड्डी की दावेदारी का विरोध करते हुए दलील दी थी कि जिस नेता पर वोट फॉर नोट और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं, उसे पीसीसी की कमान कैसे सौंपी जा सकती है।अध्यक्ष पद चुनाव के लिए नहीं ली गई रायवहीं इस नियुक्ति से नाखुश खेमे की शिकायत थी कि प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव प्रभारी माणिक टैगोर ने अपने स्तर पर किया। यहां तक कि प्रभारी ने प्रदेशाध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के नेताओं व पदाधिकारियों के साथ रायशुमारी की जो कवायद की, उसमें प्रदेश के दोनों प्रभारी सचिवों तक को शामिल नहीं किया गया। बताया जाता है कि 150 लोगों के साथ की गई इस रायशुमारी में पार्टी के सांसद से लेकर विधायक व पदाधिकारी तक शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, दो सांसद व पांच विधायकों ने रेवंत के नाम का विरोध किया था। पार्टी के एक नेता का कहना था कि प्रभारी ने एआईसीसी के एक आला पदाधिकारी के साथ मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की। उनका आरोप था कि ये लोग आलाकमान तक लोगों को पहुंचने ही नहीं देते।