then New York Times had made fun of Mangalyaan what it will say on chandrayaan 3

नवीन कुमार पाण्डेय
कथित बड़ों का बौनापन देखना हो तो न्यूयॉर्क टाइम्स शानदार उदाहरण है। यूं तो मीडिया जगत में इसका नाम बहुत बड़ा है, लेकिन संवेदना के स्तर पर वह किस हद तक घटिया है, इसका प्रमाण भारत के प्रति उसके नजरिए से मिला था। यूं तो मौका चंद्रयान-3 पर चर्चा का है, लेकिन वो कहते हैं ना- आदर और सराहना की बातें स्मृति से निकल सकती हैं, लेकिन अपमान और आलोचना सालों तक सालते रहते हैं। वो वर्ष 2014 था। भारत ने बिल्कुल किफायती बजट में मंगलयान मिशन पर सफलता हासिल कर दुनिया को हैरत में डाल दिया था। चहुंओर भारत की प्रशंसा हो रही थी। यह न्यूयॉर्क टाइम्स के संपादकीय टीम में बैठे खूसटों से बर्दाश्त नहीं हुआ। उन्हें मानो जोर का झटका लगा हो, यह कैसे हो गया! दुनिया की नेतागिरी का ठेका तो अमेरिका के जिम्मे है; फिर ये भारत, जो कल तक थर्ड वर्ल्ड का प्रतिनिधित्व कर रहा था, उसके नाम इतना बड़ी उपलब्धि कैसे जुड़ सकती है? बेचैन करने वाले इन प्रश्नों का जो परिणाम निकला, वो था एक कार्टून। कार्टून में एक किसान गाय के साथ एक कमरे के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। वहां लिखा है- एलीट स्पेस क्लब। कमरे के अंदर दो लोग सूट पहने बैठे हैं। निश्चित रूप से वो पश्चिमी दुनिया के वैज्ञानिक हैं। कार्टून के कैप्शन में लिखा है, ‘भारत का किफायती मंगल मिशन एलीट स्पेस क्लब के दरवाजे पर दस्तक देता हुआ।’
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न्यूयॉर्क टाइम्स का वो कार्टून
वैसे इसे कार्टून की जगह पश्चिमी मीडिया का घिनौना चेहरा कहें तो ज्यादा सटीक होगा। सितंबर 2014 में प्रकाशित उस संपादकीय कार्टून ने न्यूयॉर्क टाइम्स ही नहीं, पूरे पश्चिमी जगत सड़ांध भरी सोच उजागर कर दी। पश्चिमी देशों की मीडिया, वहां का अभिजात्य वर्ग, भारत को आज भी किस नजरिए से देखता है, उसका एक प्रमाण है यह कार्टून। यह सबूत है उसकी दोहरी सोच की कि हम करें तो उपलब्धि, दूसरा बाजी मार जाए तो तुक्का। यह प्रमाण है पश्चिमी जगत के उन खोखले दावों की कि उसने बहुत प्रगति की है और बाकी दुनिया बहुत पीछे है। प्रगति का सबसे उत्कृष्ट पैमाना मानसिकता के स्तर का है। आपकी सोच कितनी ऊंची है? आपके लिए प्रतिस्पर्धियों की प्रतिष्ठा कितना मायने रखती है? आप दूसरों के दुख से कितना दुखी होते हैं और उनकी खुशी में किस हद तक दिल खोलकर जश्न मनाते हैं? इनसे आंकी जाती है आपकी प्रगतिशीलता।
सोचिए, सबसे विकसित देश अमेरिका और उसके सबसे बड़े मीडिया संस्थानों में एक, न्यूयॉर्क टाइम्स के संपादकों और प्रगतिशीलता के हर पैमाने पर पिछड़ा पाकिस्तान के तत्कालीन मंत्री फवाद चौधरी की सोच में क्या अंतर है! चंद्रयान-2 जब चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सका तो फवाद चौधरी ने भी भारत के स्पेस प्रोग्राम का मजाक उड़ाया। उन्होंने ट्वीट किया था, ‘जो काम आता नहीं है उससे पंगा नहीं लेते। सो जा भाई, मून की जगह मुंबई में उतर गया होगा।’ चौधरी ने यहां तक कहा कि भारत अंतरिक्ष को गंदा कर रहा है। उन्होंने कहा था, ‘भारत सिर्फ अंतरिक्ष में मलबा फैला रहा है।’

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हिमाकत, दुस्साहस, बेहिशी और बेहयाई जैसे शब्दों को सार्थकता तो फवाद चौधरी जैसे लोगों से ही मिलती है। कितनी हैरत की बात है कि अंतरिक्ष कार्यक्रमों के मामले में कहीं नहीं टिकने वाले पाकिस्तान का मंत्री, उस भारत का मजाक उड़ा रहा है जिसकी स्पेस एजेंसी इसरो अपनी उपलब्धियों से दुनिया को बार-बार चकित कर रहा है। बीते चार वर्षों में चार देशों- भारत, इजराइल और जापान की सरकारी और प्राइवेट स्पेस एजेंसियों ने अपने अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर उतारने की कोशिश की है, लेकिन अकेला भारत है जिसने असफलता मिलने के बाद फिर से प्रयास किया।
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विडंबना की पराकाष्ठा देखिए कि फवाद चौधरी पाकिस्तान के आईटी मिनिस्टर थे और न्यूयॉर्क टाइम्स की छवि दुनिया के प्रतिष्ठित अखबार की है। लेकिन कहते हैं ना कि दुनिया में सबकुछ एक-से-बढ़कर एक है। विडंबना की इस पराकाष्ठा की सीमा से भी ऊपर का उदाहरण देख लीजिए- दक्षिण भारतीय फिल्मों और बॉलिवुड के मशहूर अभिनेता प्रकाश राज ने चंद्रयान-3 का मजाक उड़ाया है।

BREAKING NEWS:- First picture coming from the Moon by #VikramLander Wowww #justasking pic.twitter.com/RNy7zmSp3G
— Prakash Raj (@prakashraaj) August 20, 2023

फवाद चौधरी और न्यूयॉर्क टाइम्स तो विदेशी हैं। उनका भारत और इसरो की उपलब्धियों से ईर्ष्या हो तो कुछ हद तक बात समझ में आती भी है, लेकिन प्रकाश राज तो भारतीय हैं! इतने मशहूर, इतना ऊंचा कद। बात फिर से वहीं आ जाती है- कथित बड़ों का बौनापन। कद और पद से बड़े होना अलग बात है; सोच, समझ और संस्कार में बड़ा होना बिल्कुल अलग। भारत और यहां का उत्साही जनमानस इन बौनों की कब सुना है जो आज सुनेगा? हाथी चले बाजार, कुत्ता भौंके हजार। भौंकते रहो…
डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं