नई दिल्लीः भारतीय न्याय संहिता में कई नए कानूनों को जोड़ा गया है। इस सिलसिले में टेरर एक्ट के लिए अलग से प्रावधान कर दिया गया है। आईपीसी के मौजूदा कानून में देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और उसके लिए हथियार एकत्र करने आदि के लिए प्रावधान है, लेकिन अलग से टेरर को रोकने के लिए प्रावधान नहीं है। मौजूदा समय में यूएपीए कानून (गैर कानूनी गतिविधि) के तहत टेरर एक्ट के मामले में केस दर्ज होता है और यह स्पेशल एक्ट है, लेकिन अब नए भारतीय न्याय संहिता में टेरर एक्ट के मामले में कानूनी प्रावधान तय कर दिया गया है।टेरर एक्ट अपराध… धारा-111 में परिभाषितभारतीय न्याय संहिता की धारा-111 में टेरर एक्ट को परिभाषित किया गया है। इसके तहत कहा गया है कि अगर कोई शख्स आतंकी कार्रवाई करता है और वह भारत की संप्रभुता के खिलाफ आतंकी कार्रवाई करता है या आतंक फैलाने की मंशा से और भारत की एकता और अखंडता-सुरक्षा को खतरा पैदा करने की मंशा से टेरर एक्ट करता है तो उसके खिलाफ इस एक्ट के तहत केस चलेगा। अगर कोई शख्स बम, डायनामाइट, विस्फोटक, आयुद्धक, केमिकल हथियार, घातक हथियार या जहरीली गैस आदि का इस्तेमाल करता है तो उसके खिलाफ टेरर एक्ट के तहत केस बनेगा। ऐसी हरकत करते हुए वह लोगों के मन में डर और दहशत पैदा करता है, जानमाल को नुकसान होता है या लोगों की जान को खतरा और संपत्ति को खतरा होता है और देश का इंफ्रास्ट्रक्चर डैमेज होता है या भारत को डराने या भारतीय संस्थान को डराने या खतरा पैदा करने की नियत से उकसाने वाली कार्रवाई करता है या राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्ट्रक्चर को अस्थिर करने की मंशा से कार्रवाई की जाती है या इसके लिए कोशिश की जाती है तो फिर टेरर एक्ट के तहत सजा का प्रावधान किया गया है।दाऊद की भी सजा मिलेगी, नए कानून की FIR से लेकर फांसी तक की हर बारीक बात जानिएटेरर एक्ट के कारण मौत होने पर फांसीऐसी तमाम हरकत, जो टेरर एक्ट के दायरे में आता है और उससे किसी की मौत हो जाए तो ऐसी स्थिति में दोषी पाए जाने पर अधिकतम फांसी या फिर उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही, कम-से-कम 10 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। उम्रकैद की सजा के दौरान कोई परोल भी नहीं दिया जाएगा। अन्य मामले जिसमें मौत न हुई हो तो ऐसी स्थिति में पांच साल कैद से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही कम से कम पांच लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।आतंकी संगठन के मेंबर होने पर उम्रकैदनए कानून के तहत कहा गया है कि जो लोग टेरर गतिविधि के लिए साजिश करेंगे या ऐसे संगठन और ग्रुप को सहूलियत देंगे, वैसे मामले में दोषी पाए जाने पर पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही जो भी टेरर ग्रुप का मेंबर होगा ऐसे आतंकी संगठन के सदस्य साबित होने पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही, पांच लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। टेरर एक्ट करने वालों को संरक्षण देने के मामले में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही टेरर एक्ट के लिए फंडिंग करना या फंड लेना या फंड डायवर्ट करने के मामले में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। साथ ही, पांच लाख रुपये जुर्माना होगा और संपत्ति जब्त की जाएगी।जीरो FIR, गिरफ्तारी का सर्टिफिकेट, चार्जशीट… जानें एफआईआर को लेकर पुराने कानून में क्या बदल रहामौजूदा समय में UAPA स्पेशल एक्ट के तहत कार्रवाईआतंकवाद से जुड़े तमाम आरोपियों का केस लड़ने वाले जानेमाने वकील एम.एस. खान बताते हैं कि नए कानून में धारा-111 को जोड़कर टेरर एक्ट को परिभाषित किया गया है। वैसे ये तमाम प्रावधान पहले से यूएपीए (गैर कानूनी गतिविधि) में मौजूद था। अब अगर भारतीय न्याय संहिता में उसे दोबारा लिखा गया है तो फिर शायद यूएपीए कानून का औचित्य नहीं रह जाएगा। वैसे यूएपीए स्पेशल एक्ट है और आतंकवाद से संबंधित मामले में आरोपियों के खिलाफ आईपीसी के साथ साथ यूएपीए लगाया जाता है लेकिन अब टेरर एक्ट के लिए अलग से जनरल लॉ (भारतीय न्याय संहिता) में प्रावधान किए जाने से यूएपीए स्पेशल एक्ट की जरूरत बची हुई है, यह बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है। यूएपीए को देखें तो धारा-15 में टेरर एक्ट को परिभाषित किया गया है, धारा-16 में मौत की स्थिति में सजा की बात है, धारा-17 में फंडिंग को परिभाषित किया गया है। आतंकी को शरण देने के मामले में धारा-19 और धारा -20 में मेंबरशिप की बात है। अब ये तमाम प्रावधान दोबारा से टेरर एक्ट के तहत धारा-111 में नए कानून में जोड़ दिया गया है, ऐसे में यूएपीए स्पेशल एक्ट के तहत जो मुकदमा दर्ज होता था उसका क्या होगा? क्या यूएपीए स्पेशल एक्ट बना रहेगा और अगर बना रहा तो फिर दोनों कानून में समन्वय कैसे बनेगा, यह सब सवाल उभरेगा।देश के खिलाफ युद्ध करने पर फांसी का प्रावधान IPC और नए कानून में भीअगर हम आईपीसी की बात करें तो वहां धारा-121 से लेकर 124 तक देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध छेड़ने की नियत से हथियार और आयुद्धक इकट्ठा करने के मामले में फांसी और उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। एम.एस. खान बताते हैं कि पहले भी आतंकवाद से संबंधित मामले में जब आतंकियों ने देश भर हमला किया है तो उनके खिलाफ आईपीसी की धारा-121, 122 आदि धाराएं लगी हैं। साथ ही यूएपीए से संबंधित धाराएं अलग से लगती हैं। अब देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और उसकी नियत रखने और हथियार एकत्र करने के मामले में नए कानून में धारा-145 से लेकर 156 तक में प्रावधान किया गया है। राज्य के खिलाफ अपराध के मामले में धारा-145 में कहा गया है कि अगर कोई शख्स देश के खिलाफ युद्ध करता है तो उस मामले में दोषी पाए जाने पर फांसी या उम्रकैद हो सकती है। धारा-146 के तहत कहा गया है कि अगर कोई भारत के खिलाफ युद्ध की साजिश करता है तो उम्रकैद तक हो सकती है। वहीं देश के खिलाफ युद्ध के लिए हथियार एकत्र करना या उसकी मंशा हो तो धारा-147 में उम्रकैद तक हो सकती है। वहीं धारा-150 कहता है कि अगर कोई जानबूझकर देश की संप्रभुता को चुनौती देने या खतरा पैदा करने के लिए ऐसा कुछ लिखता है या बोलता है या अन्य तरह से व्यक्त करता है और देश की एकता और अखंडता को खतरा पैदा करता है तो फिर उम्रकैद या फिर सात साल की सजा हो सकती है। पहले आईपीसी में धारा-124 ए में राजद्रोह का जिक्र था लेकिन मौजूदा नए कानून में राजद्रोह का अलग से जिक्र नहीं है।नाबालिग पत्नी से सेक्स वाला अपवाद अब खत्म, हर किसी को जानना चाहिए नया कानून, जानिए क्या हैइसलिए स्पष्टता जरूरी है…अभी आतंकवाद से जुड़े यूएपीए कानून में जांच के लिए कई प्रावधान हैं। मसलन, केस छानबीन एसीपी रैंक के अधिकारी करते हैं। रिव्यू कमिटी देखती है कि यूएपीए के तहत चार्जशीट का मामला बनता है या नहीं। इसके तहत केस दर्ज होने पर आरोपी को अधिकतम 30 दिन तक रिमांड में लिया जा सकता है। लेकिन जब टेरर एक्ट से संबंधित मामले नए कानून के तहत दर्ज होंगे तो जो ऐसे मामले में जांच प्रक्रिया क्या होगी? क्योंकि जनरल कानून के तहत अधिकतम 15 दिन का रिमांड लिया जा सकता है और चार्जशीट के लिए अधिकतम 90 दिन का वक्त मिलता है। दूसरा सवाल यह भी है कि यूएपीए के तहत केस चलाने के लिए एसीपी रैंक के अधिकारी और कमिटी की मंजूरी आदि की जो शर्त है, वह नए भारतीय न्याय संहिता के तहत दर्ज होने वाले केस में कैसे लागू होगा? पुलिस को ऐसे मामले में क्या सारे अधिकार होंगे या फिर टेरर से संबंधित केस में यूएपीए के तहत तय शर्तें यहां भी लागू होंगी?