what is joint parliamentary committee, Explainer : क्या है Joint Parliamentary Committee? अडानी मामले की जांच जेपीसी से कराने की मांग पर अड़ा विपक्ष – adani stock crash parliament budget session what is joint parliamentary committee all you need to know about it

नई दिल्ली: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप को लेकर किए गए खुलासे के बाद से ही देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। संसद में बजट पेश होने के बाद से ही विपक्ष का अडानी मामले को लेकर हल्लाबोल देखने को मिल रहा है। विपक्ष अडानी मामले के जरिए केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश में लगा है। यही वजह है कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के नेता अडानी मामले की जांच जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) से कराने की मांग पर अड़ गए हैं। संसद में विपक्ष के बवाल के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही प्रभावित हो रही है। केंद्र सरकार अगर विपक्ष की बात मानकर जेपीसी का गठन करने को तैयार होती है कि अडानी मामले में भी कमेटी संबंधित शख्स, संस्था या अन्य स्टेक होल्डर्स को बुलाकर पूछताछ करेगी। इस कमेटी में कई राजनीतिक दलों के सांसद होते हैं, ऐसे में जांच निष्पक्ष होने की संभावना ज्यादा होती है। देश में अब तक 6 बार किसी घोटाले की जांच के लिए JPC बनाई गई है। आइए आज हम आपको बताते हैं कि जेपीसी क्या है? इसके गठन की प्रक्रिया क्या होती है?कैसे होता है JPC का गठन ?संयुक्त संसदीय समिति (JPC)मे कई राजनीतिक दलों के कुछ सांसदों को शामिल किया जाता है। इस समिति में राज्यसभा के जितने सदस्यों को शामिल किया जाता है, ठीक उसके दोगुना लोकसभा सदस्यों को शामिल किया जाता है। समिति में अलग-अलग दलों के सांसद होने से किसी भी गंभीर मामले की जांच निष्पक्ष होने की संभावना होती है। जेपीसी मामले की जांच काफी गहराई से करती है। कमेटी अपनी जांच के बाद कुछ सिफारिशें सरकार के पास भेजती है। सरकार उन सिफारिशों के आधार पर संबंधित जांच एजेंसियों को जांच के आदेश दे सकती है। विपक्ष की ओर से बड़े आर्थिक घोटालों में जेपीसी की मांग की जाती हैं। जेपीसी बनाने की सिफारिश केंद्र सरकार की ओर से की जाती है। सिफारिश के बाद लोकसभा में एक प्रस्ताव भी पास कराया जाता है। इसके बाद दोनों लोकसभा और राज्यसभा मिलकर जेपीसी का गठन करते हैं।AdanI Group Share: हिंडनबर्ग रिसर्च पर अडानी ग्रुप का जवाब, जानिए दोनों कंपनियों ने एक-दूसरे पर क्या आरोप लगाएजेपीसी होती है संसद की अस्थायी समितिनियमों के मुताबिक, संसद में 2 समिति का प्रावधान है। पहला स्थाई समिति और दूसरी अस्थाई समिति होती है। स्थाई समिति पूरे समय काम करती है और सरकार के पूरे कामकाज पर नजर रखती है। इन समितियों को छोटी संसद के नाम से भी जाना जाता है। उधर अस्थाई समिति किसी विशेष मामले की जांच को लेकर बनाई जाती है, जिस पर रिपोर्ट बनाकर समिति सदन में पेश करती है। अस्थाई समिति के तहत जेपीसी का गठन किया जाता है। जेपीसी को किसी खास मामले की जांच को लेकर विशेष अधिकार दिए जाते हैं। Gautam Adani News: उधर अडानी के शेयर गिरे, इधर LIC को हजारों करोड़ रुपये की चपत!कब-कब हुआ जेपीसी का गठनबोफोर्स घोटाला, 1987: स्वीडन की हथियार बनाने वाली कंपनी बोफोर्स और भारत सरकार के बीच साल 1987 में 1437 करोड़ रुपये का डिफेंस सौदा हुआ था। यह सौदा भ्रष्टाचार के आरोप में घिर गया था। उस वक्त देश में राजीव गांधी की सरकार थी। राजीव गांधी को मामले की जांच के लिए जेपीसी का गठन करना पड़ा था। कांग्रेस नेता बी. शंकरानंद को समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में राजीव गांधी को क्लीन चिट दी थी। हर्षद मेहता घोटाला, 1992: देश में नरसिम्हा राव की सरकार थी। शेयर मार्केट घोटाले में हर्षद मेहता का नाम सामने आया था। मेहता ने PM नरसिम्हा राव को रिश्वत देने का दावा भी किया था। हालांकि कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। विपक्ष ने पूरे जांच की मांग के लिए JPC की मांग की थी। अगस्त 1992 में JPC बनाई गई थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राम निवास मिर्धा ने इस कमेटी की अध्यक्षता की। मिर्धा ने मामले में नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दी थी। मगर राव का नाम इस घोटाले के साथ जुड़ता रहा। इस घोटाले के चलते साल 1996 के चुनाव में कांग्रेस को हार मिली।Adani Group मामले पर Virender Sehwag का पलटवार, कहा गोरों को हमारी तरक्की बर्दाश्त नहीं होतीकेतन पारेख शेयर मार्केट घोटाला, 2001: देश में तीसरी बार JPC का गठन 26 अप्रैल 2001 को हुआ था। इस बार केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाले की जांच के लिए इस कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी की अध्यक्षता BJP सांसद रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल प्रकाश मणि त्रिपाठी ने की थी। कमेटी ने 105 बैठकों के बाद 19 दिसंबर 2002 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमेटी ने शेयर मार्केट के नियमों में बदलाव की सिफारिश की थी।सॉफ्ट ड्रिंक में पेस्टिसाइड का मामला, 2003: अगस्त 2003 में चौथी बार JPC का गठन किया गया था। कमेटी को सॉफ्ट ड्रिंक, फ्रूट जूस और अन्य साफ्ट ड्रिंद में पेस्टिसाइड के मिले होने की जांच का जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस कमेटी की अध्यक्षता NCP प्रमुख शरद पवार ने की। कमेटी ने इस मामले में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में बताया गया कि सॉफ्ट ड्रिंक में पेस्टिसाइड था।2G स्पेक्ट्रम केस, 2011: साल 2009 में स्पैक्ट्रम आवंटन मामले में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस को विपक्ष ने बुरी तरह घेरा था। इस मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा को जेल भी जाना पड़ा था। कई दिन संसद की कार्यवाही ठप होने के बाद मनमोहन सरकार ने 2011 में जेपीसी बनाने की घोषणा की थी। जेपीसी की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद पीसी चाको को सौंपी गई। चाको ने कुछ ही दिन के भीतर ड्राफ्ट रिपोर्ट में पीएम मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम को क्लीन चिट दे दी थी।VVIP हेलिकॉप्टर घोटाला, 2013: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत अन्य वीवीआईपी के लिए हेलिकॉप्‍टर की खरीद के लिए भारत सरकार ने अगस्‍ता वेस्‍टलैंड से 3,700 करोड़ रुपये का सौदा किया था। इस सौदे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। इस मामले में विपक्ष ने JPC से जांच की मांग की। 27 फरवरी 2013 को JPC बनाई गई। इस कमेटी में 10 सदस्य राज्यसभा और 20 लोकसभा से थे। इस कमेटी ने अपनी पहली बैठक के 3 महीने बाद ही रिपोर्ट सौंप दी थी। बाद में मामले की जांच सीबीआई को ही दी गई।