नई दिल्लीकांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को ट्वीट किया कि किसान आंदोलन और किसानी को लेकर उन्होंने लोकसभा में 3 सवालों पर सरकार से लिखित जवाब मांगे थे। सरकार ने शुरुआती दो सवालों को हटा दिया और तीसरे का जवाब दिया भी तो ‘गोलमोल’। कांग्रेस नेता ने इसे ‘मजाक’ करार दिया है। तो क्या सरकार के लिए संसद में सदस्य की तरफ से पूछे गए हर सवाल का जवाब देना जरूरी है? अगर जरूरी नहीं है तो किस आधार पर जवाब देने के लिए सवालों को मंजूर या फिर नामंजूर किया जाता है? क्या ऐसा पहली बार हुआ है कि सरकार ने किसी सांसद के पूछे सवाल को हटा दिया है? कितने तरह के सवाल होते हैं और उनसे जुड़े नियम क्या हैं? आइए समझते हैं।सुब्रमण्यन स्वामी और केसी वेणुगोपाल के सवाल भी हुए नामंजूरसंसद के दोनों सदनों में सांसदों को तमाम मंत्रालयों और विभागों से सवाल पूछने का अधिकार मिला हुआ है। प्रश्न काल के दौरान संबंधित मंत्री उन सवालों का जवाब देते हैं। लेकिन इन सवालों के लिए विधिवत नियम बने हुए हैं कि किस तरह के सवाल पूछे जाएंगे, उसकी प्रक्रिया क्या होगी और किस तरह के सवालों को नामंजूर किया जा सकता है। जाहिर है कि सवालों का स्वीकार नहीं किया जाना कोई असामान्य बात नहीं है। नियमों के हिसाब से पहले भी ऐसा होता रहा है, हालांकि ऐसा कम ही देखने को मिलता है।लोकसभा में प्रश्नकाल के लिए भेजे गए मेरे दो प्रश्नों को हटाया गया, राहुल गांधी का आरोपसंसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के ही दौरान कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल और बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी के सवालों को जवाब के लिए स्वीकार नहीं किया गया। दोनों ही राज्यसभा के सदस्य हैं। स्वामी ने एलएसी पर चीन के कथित घुसपैठ का सवाल उठाया था। उन्होंने पूछा था कि क्या चीनियों ने लद्दाख में एलएसी को पार किया था? स्वामी ने खुद ट्वीट कर बताया था कि राष्ट्रीय हित का हवाला देकर उनके सवाल को इजाजत नहीं दी गई।दूसरी तरफ, वेणुगोपाल ने पूछा था कि क्या एनआरआई को एयरपोर्ट पर परेशान किया जा रहा है और उन्हें वापस भेजा रहा है? क्या कुछ एनआरआई से अधिकारी यह कह रहे हैं कि किसान आंदोलन का समर्थन करना बंद करो? इन दोनों सांसदों के सवालों को राज्यसभा सचिवालय ने मंजूरी नहीं दी।तारांकित, अतारांकित…सवालों की श्रेणियांसवाल पूछे जाने की प्रक्रिया, उन्हें मंजूर या नामंजूर किए जाने से जुड़े नियमों को जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि संसद में पूछे जाने वाले सवालों की श्रेणियां क्या हैं। आम तौर पर सदन के दोनों सदनों की कार्यवाही का शुरुआती घंटा ‘प्रश्न काल’ होता है लेकिन जब हामिद अंसारी राज्यसभा के सभापति थे तो उन्होंने सदन में दोपहर 12 से एक बजे का समय प्रश्नकाल के लिए निर्धारित कर दिया।जो PM ने माफी मांगी है… जो PM ने माफी मांगी है… संसद में राहुल ने PM मोदी के लिए चुना नया ‘शब्दबाण’1- तारांकित प्रश्न यानी Starred Questionअगर कोई सांसद यह चाहता है कि संबंधित मंत्री उनके सवाल का मौखिक जवाब दे तो वह तारांकित प्रश्न पूछता है। सदन में मंत्री के जवाब के बाद वह उनसे पूरक प्रश्न भी पूछ सकता है।2- अतारांकित प्रश्न यानी Unstarred Questionअगर हर सवाल तारांकित ही रहे तो सदन की कार्यवाही का ज्यादातर हिस्सा तो सवाल-जवाब में ही चला जाएगा। विधेयकों और दूसरे मुद्दों पर चर्चा के लिए समय ही नहीं बचेगा। इसलिए अतारांकित प्रश्नों की व्यवस्था की गई है। इसमें संबंधित मंत्री सवाल का लिखित जवाब सदन पटल पर रखते हैं। इसमें पूरक प्रश्न यानी Supplementary Question की इजाजत नहीं होती है।3- अल्प सूचना प्रश्न यानी शॉर्ट नोटिस क्वेश्चनलोक महत्व से जुड़े और अर्जेंट मुद्दे के लिए इस तरह के सवाल का प्रावधान है। इसमें कम से कम 10 दिन का नोटिस देकर सदस्य सवाल पूछ सकता है। ऐसे सवालों को ‘शॉर्ट नोटिस क्वेश्चन’ कहते हैं।4- प्राइवेट मेंबर्स (गैरसरकारी सदस्यों) से पूछे जाने वाले प्रश्नलोकसभा की कार्यवाही से जुड़े नियम 40 और राज्यसभा के लिए नियम 48 के तहत कोई सदस्य किसी अन्य सदस्य से भी प्रश्न पूछ सकता है। ये प्रश्न संबंधित सदस्य के प्राइवेट मेंबर बिल, प्रस्ताव या दूसरे विषय से जुड़े होने चाहिए।कांग्रेस से क्यों खफा हैं प्रशांत किशोर? पांच राज्यों के चुनाव के बाद साफ होगी स्थितिसवाल के मंजूर या नामंजूर होने से जुड़े नियमतारांकित या अतारांकित प्रश्न के लिए सदस्य को सबसे पहले तो लोकसभा महासचिव/राज्यसभा महासचिव को कम से कम 15 दिनों का नोटिस देकर पूछा जाता है। ऐसा इसलिए कि संबंधित मंत्रालय को जवाब तैयार करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।दूसरा चरण होता है यह जांचना कि नियमों या पहले के उदाहरणों के मुताबिक सवाल मंजूर करने लायक हैं या नहीं। लोकसभा में रूल नंबर 41-44 और राज्यसभा में रूल नंबर 47-50 में बताया गया है कि किन सवालों को स्वीकार किया जा सकता है और किनको नहीं।किस तरह के सवाल की इजाजत नहीं- ऐसे प्रश्न जिनमें अनुमान, कल्पना या किसी की मानहानि वाले बयान हों या फिर जिनमें किसी व्यक्ति की आधिकारिक (पदेन) स्थिति या सार्वजनिक हैसियत से इतर उसके चरित्र या आचरण का जिक्र हो, उन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा।- इस तरह के प्रश्न जिनके जवाब पहले भी दिए जा चुके हों या जिनके बारे में सूचनाएं आसानी से उपलब्ध हों, वे भी स्वीकार नहीं किए जाएंगे।- न्यायालय या किसी ट्राइब्यूनल में लंबित किसी मामले से जुड़े सवाल भी स्वीकार नहीं किए जाएंगे।- किसी संसदीय समिति में विचाराधीन मुद्दे से जुड़े सवाल भी स्वीकार नहीं किए जाएंगे। – भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते वाले देशों के बारे में अपमानजनक संदर्भों वाले सवाल की भी इजाजत नहीं है। – ऐसे सवाल जिनमें व्यक्तिगत रूप से दोषारोपण हो, नहीं पूछे जा सकते।- पॉलिसी से जुड़े मुद्दे उठाने वाले उन सवालों को इजाजत नहीं है जिनका सीमित जवाब मुश्किल हो।- प्रश्न सीमित शब्दों वाले हों यानी संक्षिप्त हों। लोकसभा में 150 से ज्यादा शब्द वाले सवाल नहीं पूछे जा सकते। इसी तरह राज्यसभा में यह शब्दसीमा 100 है।- प्रशासन की छोटी-मोटी बातों और सरकार के रोजमर्रा के कामों से जुड़े सवाल भी स्वीकार नहीं होंगे।- सवाल टु द पॉइंट हो, सीमित हो और सिर्फ एक मुद्दे से जुड़ा हो। ऐसा नहीं होने पर उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। (राज्यसभा में नियम)- राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा सकने वाले और संवेदनशील प्रकृति के सवाल मंजूर नहीं किए जाएंगे।Parliament Winter Session 2021: चीन को लेकर सुब्रमण्यम स्वामी का क्या था सवाल? जिसको राज्यसभा ने कर दिया रिजेक्टपिछले सत्र में भी कुछ सवाल नामंजूर हुएइस साल मॉनसून सत्र के दौरान भी सांसदों के कुछ सवालों को मंजूरी नहीं मिली। राज्यसभा में ऐसा ही एक सवाल पेगागस जासूसी कांड से जुड़ा था। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने का हवाला देकर जवाब नहीं दिया। इसी तरह टीएमसी की राज्यसभा सांसद शांता छेत्री ने ‘डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारतीयों की स्थिति’ को लेकर सवाल पूछा था लेकिन सरकार ने प्रश्न के संवेदनशील प्रकृति के होने के आधार पर जवाब नहीं दिया। एक बार सवाल नामंजूर तो नामंजूर, चुनौती नहीं दी जा सकतीकिसी सदस्य के सवाल को एक बार नामंजूर कर दिया गया तो दोबारा वह नहीं पूछा जा सकता। इसके बारे में आरटीआई के जरिए भी सूचना नहीं मांगी जा सकती क्योंकि यह सदन के विशेषाधिकार से जुड़े हैं। यहां तक कि सवाल नामंजूर किए जाने को कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती।