नरेन्द्र भल्ला
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के यीशु कॉलेज परिसर में हुई मोरारी बापू की राम कथा में 15 अगस्त को ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक का अनायास वहां पहुंचना और मंच से जय सियाराम का जयकारा लगाना BJP को सियासी रूप से फायदेमंद नजर आ रहा है। पीएम सुनक के इस कदम ने BJP का मनोबल बढ़ा दिया है। अगले चुनाव में मोरारी बापू से आशीर्वाद लेते हुए ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक के भी पोस्टर दिखने लगें, तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए।
रणनीति तैयारहालांकि इसका नमूना 15 अगस्त को ही देखने को मिल गया था, जब राम कथा में पीएम सुनक के दिए भाषण का विडियो संघ व BJP से जुड़े लोगों ने चंद घंटों में ही देश-दुनिया में प्रचारित-प्रसारित कर दिया था। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि BJP ने इसके जरिए चुनावी लाभ उठाने की रणनीति तैयार कर ली है।
दरअसल, इस बार संघ और BJP का एक मुख्य टारगेट वह युवा वर्ग भी है, जो कहीं न कहीं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से प्रभावित होकर कांग्रेस के पाले में आ चुका है। यानी, वह वर्ग जिसे अपने हिंदू होने पर गर्व तो है, लेकिन वह BJP के हिंदुत्व से दूरी बनाए रखना चाहता है।
पीएम ऋषि सुनक के जरिए BJP इस युवा वर्ग को यह संदेश देते हुए अपने साथ जोड़ने की कोशिश में है कि ब्रिटिश सभ्यता में पला-बढ़ा इतना शिक्षित और ताकतवर इंसान अगर जय सियाराम का जयकारा लगाने में शर्म नहीं बल्कि गर्व महसूस करता है, तो फिर आप लोग हिंदुत्व से दूरी बनाकर आखिर किसका भला कर रहे हो?
तस्वीरों की सियासतदेश में सबसे गंभीर और प्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू की बात करें, तो धार्मिक-आध्यात्मिक जगत में उनकी ऐसी छवि बनी है, जो उन्हें अन्य संतों से बिल्कुल अलग श्रेणी में ला खड़ा करती है। इसलिए कि वह गैर विवादित, गैर राजनीतिक और सांसारिक मोह-माया से बहुत दूर रहने वाली शख्सियत के रूप में जाने जाते हैं। एक मुलाकात में वह बता चुके हैं कि राम कथा में जितना भी चढ़ावा आए, सारा का सारा वहां की किसी उपयुक्त समाजसेवी संस्था को सौंप देते हैं, इस वचन के साथ कि वह सारा पैसा नेत्रहीन बच्चों के स्कूलों और वृद्धा आश्रम के कल्याण पर ही खर्च होगा। वह कथा के मंच से किसी भी राजनीतिक दल के लिए समर्थन की अपील नहीं करते हैं, लेकिन ब्रिटेन के पीएम को आशीर्वाद देने वाली तस्वीर का अगर BJP चुनावी फायदे के लिए इस्तेमाल करती है तो वह चाहकर भी इसे रोक नहीं पाएंगे।
बड़ी मिसालकरीब पौने 7 करोड़ की आबादी वाले ब्रिटेन में हिंदुओं की संख्या महज सवा 10 लाख है। वहां ईसाइयों की संख्या घट रही है और अब उनकी आबादी 46 प्रतिशत ही रह गई है। दूसरे नंबर पर वहां ऐसे लोग हैं, जो नास्तिक हैं। तीसरे नंबर पर मुस्लिम हैं, जिनकी आबादी तकरीबन 39 लाख है। 2011 से लेकर 2021 के दस सालों में उनकी आबादी में 1.6 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह भी गौर करने की बात है कि देश के प्रधानमंत्री पद पर बैठे ऋषि सुनक का, भले ही निजी हैसियत से किया गया हो, पर अपने सनातनी हिंदू होने पर सार्वजनिक तौर पर गर्व करना ब्रिटेन के इतिहास की पहली और इकलौती मिसाल है। ब्रिटेन से लेकर भारत तक यह मिसाल हिंदू धर्म का जैसा प्रचार कर रही है, क्या BJP उसका सियासी फायदा उठाने से चूकेगी?
धर्म और राजनीतिहालांकि पिछले कई वर्षों से इस पर बहस चली आ रही है कि धर्म और राजनीति का गठजोड़ नहीं होना चाहिए। लेकिन सच यही है कि धर्म की बैसाखी के सहारे ही हर राजनीति सत्ता के सिंहासन तक पहुंचती आई है। ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक का ईसाई बहुल देश में हिंदुओं के एक धार्मिक समारोह के मंच पर आना अपने आप में बहुत बड़ा मेसेज है। आने वाले दिनों में ब्रिटेन में ही नहीं, भारत में भी इसके सांस्कृतिक-सामाजिक और धार्मिक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं