yashwant sinha opinion on ukraine crisis: Yashwant Sinha View on Ukraine Crisis: Said – India will have to protect itself It is not surprising if Xi Jinping also takes steps like Putin: ‘ताज्‍जुब नहीं अगर चिनफिंग भी पुतिन सा कदम उठाएं…’, यशवंत सिन्‍हा बोले-भारत को खुद अपनी सुरक्षा करनी होगी

Yashwant Sinha View on Ukraine Crisis: पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की तुलना उस ड्राइवर से की है जो किसी दुर्घटना की चिंता किए बगैर फर्राटे से अपनी कार किसी चौराहे पर भी दौड़ा दे। उन्होंने कहा कि कल अगर चीन के राष्ट्रपति शी ज‍िनप‍िंंग (Xi Jinping) भी इस तरह का आचरण करें तो उन्हें कोई आश्चर्य नहीं होगा। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे सिन्हा ने कहा कि भारत को इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि अगर पाकिस्तान या चीन के साथ उसका संघर्ष होता है तो वह अकेला है और उसे स्वयं ही अपनी सुरक्षा करनी होगी।अलग-अलग मुद्दों पर अकसर सरकार को घेरने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व नेता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य मंचों पर मतदान से दूर रहने के भारत के फैसले से एक संदेश यह भी गया है कि वह ‘गलत काम में’ रूस का साथ दे रहा है।सिन्हा ने यह भी कहा कि अपनी सुरक्षा को लेकर रूस की चिंता वाजिब थी लेकिन युद्ध का उसका तरीका गलत और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के विपरीत है।उनके मुताबिक, यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होने के साथ ही भारत को रूस से बात करनी चाहिए थी और वार्ता के जरिए मुद्दे का हल निकालने के लिए उसे दोनों देशों पर दबाव बना चाहिए था।’फुल करा लें टंकी, खत्‍म हो रहा मोदी सरकार का चुनावी ऑफर…’ पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की आशंका के बीच राहुल गांधी का तंजउन्होंने कहा, ‘रूस से हमारी बहुत पुरानी दोस्ती है। वह हर मौके पर भारत के काम आया है। वह हमारा बहुत ही बहुमूल्य दोस्त है, इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन बहुत नजदीकी दोस्त भी अगर गलती करता है तो दोस्त के नाते हमारा हक बनता है कि हम उसको कहें कि भाई यह गलती मत करो।’’सिन्हा वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस के सदस्य हैं।उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि अभी तक ऐसा कोई सबूत सामने नहीं आया है कि भारत सरकार ने ऐसा कुछ किया है। संघर्ष शुरू होने के तुरंत बाद हमारे विदेश मंत्री को वहां जाना चाहिए था और कोशिश करनी चाहिए थी कि पुतिन की मोदी से बात कराएं लेकिन ऐसी कोई पहल भारत की ओर से नहीं हुई।’सिन्हा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य मंचों पर भारत मतदान से दूर रहा तथा इससे ऐसा लगता है जैसे गलत काम में भारत रूस का साथ दे रहा है। उन्होंने कहा, ‘यह जो स्थिति है, इससे बचा जा सकता था।’सिन्हा ने कहा कि उनका मानना है कि वह चाहे अमेरिका हो या यूरोप, पश्चिमी देशों का नेतृत्व कमजोर हो गया और कहीं न कहीं पुतिन को यह एहसास था कि वह अगर किसी तरह का ‘जोखिम भरा कदम’ उठाएंगे तो ‘वेस्टर्न डेमोक्रेसीज’ उनका मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं होंगी।कब और कैसे खत्‍म होगी रूस-यूक्रेन के बीच जंग, क्‍या हो सकता है भारत का रोल?उन्होंने कहा, ‘यह उसी तरह का है जैसे मान लीजिए आप एक गाड़ी चला रहे हैं और किसी चौराहे की ओर बढ़ रहे हैं। दूसरी तरफ से भी एक गाड़ी आ रही है और उसमें एक ऐसा ड्राइवर है जो तेज गति से चौराहे को पार करने पर आमादा है। ऐसे में चौराहे पर बाकी लोग अपनी गाड़ी रोकने की कोशिश करेंगे। गाड़ी रुक गई तब तो ठीक है और नहीं रुकी तो फिर दुर्घटना होनी तय है। लेकिन तेज गति से गाड़ी दौड़ाने वाला ड्राइवर किसी प्रकार की दुर्घटना की चिंता नहीं कर रहा है। आज पुतिन की तुलना मैं उसी ड्राइवर से करूंगा। कल अगर शी चिनफिंग इसी तरह का आचरण करते हैं, तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा।’सिन्हा ने कहा कि जिस प्रकार यूक्रेन और रूस के मामले में पूरी दुनिया तटस्थ रह गई, ठीक उसी प्रकार की स्थिति, यदि भारत और चीन के बीच संघर्ष होता है, हो सकती है।उन्होंने कहा, ‘भारत की दिशा बिलकुल स्पष्ट है। अगर कुछ होता है तो हमारे यहां क्या होगा? एक पाकिस्तान के साथ या फिर चीन के साथ संघर्ष हो सकता है। तो ऐसे में किसी भी संघर्ष में भारत अकेला है और उसे अपनी सुरक्षा स्वयं सुनिश्चित करनी होगी।’सिन्हा ने कहा कि भारत को चीन को लेकर जरूर चिंता करनी चाहिए और पूरे इंतजाम करने चाहिए।उन्होंने कहा, ‘हमें किसी गफलत में नहीं रहना चाहिए।’भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश तथा लद्दाख में सीमा विवाद बहुत पुराना है। वर्ष 2020 के जून महीने में लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी और दोनों देशों के बीच फिलहाल गतिरोध को दूर करने के लिए सैन्य स्तरीय वार्ता जारी है।पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पश्चिमी देशों की तरफ से यूक्रेन को उकसाया गया और उसे नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) में शामिल करने की बात कहकर वे रूस को घेरने की तैयारी कर रहे थे तथा इन्हीं सबसे चिंतित होकर रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया।’अब और इंतजार नहीं कर सकते…’, विदेश मंत्रालय के परामर्श के बाद यूक्रेन में फंसे छात्रों में असमंजसउन्होंने कहा, ‘लेकिन मेरा यह कहना है कि रूस की चिंता सही थी लेकिन तरीका गलत हो गया। उनको (रूस) कोशिश करनी चाहिए थी कि बातचीत से रास्ता निकले। बातचीत से रास्ता निकालने में अगर दूसरे देशों की मदद उन्हें चाहिए थी तो वह भी लेनी चाहिए थी। जैसे, अभी फ्रांस के राष्ट्रपति कोशिश कर रहे हैं। वह फ्रांस की सेवाओं का इस्तेमाल बातचीत के लिए कर सकता था। रूस, भारत की सेवाओं का इस्तेमाल भी कर सकता था। वह भारत से हस्तक्षेप करने को कह सकता था। वह भारत को कह सकता था कि वह इस दिशा में कोशिश करे ताकि रूस की सुरक्षा पर खतरा न हो।’सिन्हा ने कहा कि मौजूदा स्थिति में नाटो ने यूक्रेन को सैन्य मदद न देकर सही रास्ता पकड़ा है क्योंकि वह संघर्ष नहीं बढ़ाना चाहता।उन्होंने कहा, ‘सबकी चिंता यही है कि कहीं यह विश्वयुद्ध में तब्दील न हो जाए और विश्वयुद्ध होने का मतलब है परमाणु युद्ध। यह होता है तो और कितने लोग मारे जाएंगे, उसकी कोई गिनती नहीं होगी। इसलिए, पश्चिमी देश खासकर जिनका प्रभाव यूरोप में है, वे नहीं चाहते हैं कि संघर्ष इतना बढ़ जाए कि उनकी सेना को इसमें भाग लेना पड़े।’