नयी दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि सरकार दीपावली तक देश में नयी सहकारी नीति लेकर आयेगी जो आने वाले 25 वर्षों के लिए सहकारिता का मानचित्र प्रस्तुत करेगी। लोकसभा में मणिपुर के मुद्दे पर नारेबाजी कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ‘बहु राज्य सहकारी समितियां संशोधन विधेयक, 2022’ पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह बात कही।उन्होंने कहा, ” वर्ष 2003 के बाद से देश में कोई सहकारी नीति नहीं आई। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि विजयादशमी या ज्यादा से ज्यादा दीपावली तक हम नयी सहकारी नीति लेकर आएंगे। शाह ने कहा कि यह नयी सहकारी नीति आने वाले 25 वर्षों के सहकारिता का मानचित्र देश और दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करेगी।सहकारिता मंत्री ने यह भी कहा कि देश में सहकारी संस्थानों से जुड़ा कोई एकीकृत डाटाबेस नहीं था, ऐसे में मौजूदा संस्थानों और जहां पर सहकारी संस्थान नहीं है, उनका एक राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करने का काम शुरू हो गया है।उन्होंने बताया कि इसका 95 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है और विजयादशमी के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इसे ऑनलाइन जारी किया जायेगा।शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने सहकारी शिक्षण के लिए आने वाले दिनों में सहकारिता विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया है।सहकारिता मंत्री अमित शाह के जवाब के बाद सदन ने शोर-शराबे के बीच ही ध्वनिमत से ‘बहु राज्य सहकारी समितियां संशोधन विधेयक, 2022’ को मंजूरी दे दी।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले 2 सालों में देश में सहकारिता क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं तथा केन्द्र सरकार ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को पुनर्जीवित करने, इन्हें व्यवहार्य और बहुआयामी बनाने के लिए कई प्रयास किए हैं।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के 63,000 पैक्स का 2,500 करोड़ रुपए की लागत से कम्प्यूटरीकरण किया है।शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी नीत सरकार ने देश के करोड़ों लोगों को गैस सिलिंडर दिए हैं और अब पैक्स, एलपीजी वितरण का काम भी कर सकेंगे।उन्होंने कहा कि सरकार देश के करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज दे रही है और अब इस खुदरा आउटलेट पर भी पैक्स का अधिकार होगा। शाह ने कहा कि अब पैक्स जनऔषधि केन्द्र भी चला सकेंगे और पानी समिति बनकर जल वितरण का काम भी कर सकेंगे।उन्होंने कहा कि मोदी ने पैक्स को भंडारण क्षमता के साथ जोड़ने का भी काम किया है और अब ये भंडारण का भी काम करेंगे।विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के मनोज कोटक ने कहा कि सहकारिता आंदोलन को नयी दिशा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक बड़ा खाका प्रस्तुत किया है जिसमें छोटे किसानों, रेहड़ी पटरी वालों और छोटे व्यवसायियों की चिंता की गई है।कोटक ने कहा कि यह विधेयक लाने की जरूरत इसलिए आई क्योंकि छोटे गांवों से लेकर कस्बों तक विभिन्न मंडलियों के संचालन के लिए कोई नियमन की व्यवस्था नहीं थी। इसका मकसद सहकारी मंडलियों का सुचारू संचालन सुनिश्चित करना है।चर्चा में हिस्सा लेते हुए वाईएसआर के एन श्रीकृष्णा ने कहा कि सहकारी समितियों का चुनाव संबंधी प्रावधान एक अच्छी पहल है।बहुजन समाज पार्टी के राम शिरोमणि वर्मा ने कहा कि कुछ राज्यों में सहकारी समितियों में अनियमितताओं, वित्तीय गबन, विवाद, पक्षपातपूर्ण आचरण जैसे कदाचार को रोकने के लिए यह विधेयक महत्वपूर्ण है।भाजपा के संतोष गंगवार ने कहा कि देश के सहकारिता के इतिहास में यह बड़ा कदम है जो परिवर्तनकारी बदलाव लेकर आयेगा।चर्चा के जवाब में शाह ने सरकार की योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा, ”मोदी जी ने हर परिवार को एलपीजी गैस सिलिंडर देकर महिलाओं को धुएं से बचाया, हर गरीब के घर में बिजली पहुंचाकर उसे उजाला देने का काम किया। पांच लाख रुपये तक की स्वस्थ्य सुविधाएं मुफ्त कर दीं।उनका कहना था, ”अब जरूरत है रोजगार देने की। इसमें किसानी और सहकारिता आंदोलन एक प्रमुख जरिया है। सहकारिता आंदोलन को आवाज देने के लिए यह विधेयक बना है।सहकारिता मंत्री ने कहा, ”बहु राज्यीय सहकारी संघ केंद्र सरकार का विषय है… इसमें जवाबदेही, पारदर्शिता और मुनाफा बढ़े, इसलिए यह विधेयक लाया गया है।”उन्होंने कहा, ”पहले यह कहा जाता था कि सहकारिता में राजनीतिक हस्तक्षेप होता है। अब हम एक प्रावधान लेकर आए हैं जिसमें निर्वाचन अधिकरण बनाने का प्रावधान है। इससे सरकारी दखल कम हो जाएगा। निर्वाचन अधिकरण के प्रमुख की शक्तियां लगभग चुनाव आयुक्त के बराबर कर दी गई हैं।शाह ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के साथ सहकारिता आंदोलन में बड़े युग का परिवर्तन होगा।इस विधेयक को 20 दिसंबर, 2022 को संसद की एक संयुक्त समिति के पास भेजा गया था और समिति ने विधेयक के अधिकांश प्रावधानों पर सहमति जताते हुए 15 मार्च, 2023 को अपनी रिपोर्ट पेश की।बहु राज्यीय सहकारिता समिति कानून 1984 में लागू किया गया था। वर्ष 1987 में इस कानून के तहत ट्राइफेड (ट्राइबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) को एक राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था के रूप में स्थापित किया गया था।