मुंबई: रियल डायमंड के कारोबार में तकरीबन 10 पर्सेंट की गिरावट देखी जा रही है। इंडस्ट्री का कहना है कि अप्रैल के बाद एक्सपोर्ट में भी 10 पर्सेंट की गिरावट दर्ज हुई है। भारत डायमंड बोर्स के वाइस प्रेजिडेंट मेहुल भाई शाह का कहना है कि इसके पीछे अमेरिका, यूरोप और चीन में आर्थिक सुस्ती, रूस पर बैन से रफ डायमंड की सप्लाई में कमी आने से कारण अहम हैं। इसी के साथ लैब में तैयार किए जाने वाले डायमंड का बाजार जिस तेजी से उभरा है, इसका असर भी हुआ है। उदाहरण के लिए रियल डायमंड अगर पांच लाख रुपये का है, तो उसी के जैसा दिखने वाला लैब में तैयार डायमंड 20-40 हजार रुपये में मिल जाता है। यह बाजार नया है तो बढ़ रहा है। लैब ग्रोन डायमंड (LGD) लेबोरेटरी में बनाए जाते हैं। ये सिर्फ एक से चार सप्ताह में तैयार हो जाते हैं। ऐसे हीरों की बनावट, चमक, कलर, कटिंग, डिजाइन नैचुरल हीरे जैसी ही होती है और उसे भी सर्टिफिकेट के साथ बेचा जाता है।शाह ने बताया कि रियल डायमंड की कीमतें भी थोड़ी नरम हुई हैं, लेकिन क्रिसमस तक बाजार में फिर से तेजी आने की उम्मीद है। हालांकि, GJC के पूर्व चेयरमैन नितिन खंडेलवाल का मानना है कि ग्लोबली अब आज के दौर की पीढ़ी सगाई की अंगूठी के लिए असल डायमंड से दूर हो रहे हैं। लैब में तैयार हो रहे डायमंड का मार्केट 22 अरब डॉलर का है और इंडिया अपनी कारीगरी और वैल्यू एडिशन से इस बाजार पर अपना रुतबा जमा सकता है और यही हो भी रहा है। घरेलू खपत और ग्लोबल खपत में डबल डिजिट की ग्रोथ नजर आ रही है।Who is Sohan Roy: ढोलकिया का बाप निकला यूएई का यह बिजनसमैन, कर्मचारियों को गिफ्ट कर दिए 30 करोड़भारतीयों को चाहिए वैल्यूजयपुर जेम्स के CEO सिद्धार्थ सचेती का कहना है कि भारतीय लोगों के लिए वैल्यू ज्यादा मायने रखती है। यहां लैब में तैयार डायमंड का मार्केट नौकरीपेशा लोगों में है, लेकिन वे भी अब वैल्यू को ध्यान से देख रहे हैं। हां, अमेरिका और यूरोपीय देशों में जिस तरह से इसकी पर्यावरण के नजरिए से सुरक्षित बताकर ब्रैंडिंग की गई है, यह बात खरीदारों को भा रही है, क्योंकि उनके लिए कीमत प्राथमिकता नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए सेफ चीज ज्यादा जरूरी है।’सिद्धार्थ सचेती का कहना है कि लैब में तैयार हीरे में भी इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल होता है और ऐसे में उसे भी एनवायरनमेंट फ्रेंडली नहीं कहा जा सकता है। हां, लैब में तैयार डायमंड की तुलना क्यूबिक जरकोनिया से किया जा सकता है, क्योंकि वैल्यू तो आपको सिर्फ रियल डायमंड की ही मिलेगी। पीएनजी जूलर्स के प्रमुख सौरभ गाडगिल का मानना है कि महंगाई और ग्लोबल इकॉनमी में सुस्ती के कारण लोग खर्चे में कटौती को तवज्जो दे रहे हैं। रियल डायमंड महंगा होता है और उन्हें जब लैब वाले हीरे का ऑप्शन मिला तो वे इस ओर तेजी से आकर्षित हुए हैं।