नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) देश के अस्पतालों में उपलब्ध कुल बिस्तरों में से महज तीन से पांच प्रतिशत आपात विभागों में हैं। एम्स के आपातकालीन चिकित्सा विभाग की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के आपातकालीन चिकित्सा विभाग की ओर से तैयार ‘भारत में राष्ट्रीय स्तर पर माध्यमिक, तृतीयक स्तर के केंद्रों और जिला अस्पतालों में आपातकालीन तथा घायलों की देखभाल की मौजूदा स्थिति’ शीर्षक वाली रिपोर्ट नीति आयोग को सौंपी गई है। इसमें, 34 जिला अस्पतालों के अलावा, देश के 28 राज्यों तथा दो केंद्रशासित प्रदेशों में सरकारी एवं निजी अस्पताल की प्रणालियों में 100 आपातकालीन और घायल देखभाल केंद्रों की मौजूदा स्थिति का आकलन किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर अस्पतालों के आपातकालीन विभागों में मरीजों की औसत संख्या के अनुपात में चिकित्सकों, विशेषज्ञों और नर्सिंग कर्मियों की कमी है। हालांकि इन अस्पतालों में आवश्यक मानव संसाधन पर्याप्त संख्या में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक आपात सेवा विभागों में आपात इस्तेमाल में आने वाली सभी दवाएं सातों दिन और 24 घंटे उपलब्ध रहने की अनिवार्यता के मद्देनजर जब आकलन किया गया तो पता चला कि सभी अस्पतालों में से केवल नौ इस मापदंड को पूरा करते हैं।इसमें कहा गया है कि कई सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सामान्य एचडीयू (55 फीसदी), हृदय से जुड़ी बीमारियों के लिए आईसीयू (55 फीसदी) और न्यूरो आईसीयू (55 फीसदी) की कमी है। एचडीयू (हाई डिपेंडेन्सी यूनिट) से आशय विशेषीकृत वार्ड से है जहां गंभीर रूप से बीमा लोगों का इलाज होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर अस्पतालों में आपातकालीन विभाग में अलग से ब्लड बैंक नहीं था और न ही बड़े पैमाने पर रक्त देने को लेकर कोई मौजूदा मानक प्रोटोकॉल था।