नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) कोरोना वायरस की तीसरी लहर में बच्चों पर ज्यादा असर होने की संभावनाओं के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अस्पतालों में बच्चों के इलाज के लिये बिस्तरे और अन्य सुविधायें बढ़ाने के वास्ते सोमवार को बजट से 23,220 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कोष उपलब्ध कराने की घोषणा की। अधिकारिेयों ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को यह राशि दे दी गयी है। वह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्यों के साथ मिल कर इसका उपयोग करेगा। सीतारमण ने इसके साथ ही निजी अस्पतालों को चिकित्सा और स्वास्थ्य ढांचा स्थापित करने के वासते 50,000 करोड़ रुपये की रिण गारंटी योजना की भी घोषणा की है। यह सुविधा आठ महानगरों को छोड़कर अन्य शहरों में स्थापित किये जाने वाले स्वास्थ्य ढांचे के लिये उपलब्ध होगी। वित्त मंत्री ने इसकी घोषणा करते हुये कहा, ‘‘हम अब प्राथमिक रूप से बाल चिकित्सा पर केन्द्रित सुविधाओं के लिये 23,220 करोड़ रुपये की राशि और उपलब्ध करा रहे हैं। यह धन इसी वित्त वर्ष में खर्च किा जाएगा।’ उन्होंने कि इस सुविधा से लाभ बच्चे के अलावा दूसरे मरीजों को भी आराम होगा। स्वास्थ्य क्षेत्र के उद्यमियों ने वित्त मंत्री की घोषणा का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे स्वास्थ्य क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। वित्त मंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह राशि मानव संसाधन बढ़ाने पर भी खर्च होगी। इसके तहत आपातकालीन परिस्थितियों में चिकित्सा छात्रों, नर्सों को सहायता के लिये लाया जा सकेगा। सघन चिकित्सा यूनिट बिस्तरे उपलब्ध कराये जा सकेंगे। उप-जिला, जिला और केन्द्रीय स्तर पर आक्सीजन की आपूर्ति की जा सकेगी। इसके अलावा दवायें और उपकरण, दूरसंचार माध्यमों से डाक्टर की सलाह और अंबुलेंस सेवायें आदि को सुनिश्चित किया जा सकेगा। यह सब बच्चों पर प्राथमिकता के साथ ध्यान केन्द्रित करते हुये किया जायेगा। इससे ताकि बाल चिकित्सा पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा।’’ उन्होंने कहा कि पिछले साल 15,000 करोड़ रुपये के आपात स्वास्थ्य प्रणाली परियोजना को अमल में लाया गया। इस धन का इस्तेमाल करते हुये कोविड के इलाज को समर्पित अस्पतालों की संख्या में 25 गुणा वृद्धि हुई। इसके साथ ही 7,929 कोविड स्वास्थ्य केन्द्रों और 9,954 कोविड देखभाल केन्द्रों की स्थापना हुई। आक्सीजन सुविधाओं वाले बिस्तरों की संख्या भी साढे सात गुणा बढ़ी। पृथक बिस्तरों और आईसीयू बिस्तरों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई। व्यय सचिव टी वी सोमनाथन ने बताया कि 23,220 करोड़ रुपये स्वास्थ्य मंत्रालय को तुरंत उपलब्ध करा दिये गये हैं। यह स्वास्थ्य मंत्रालय को इस साल के बजट खर्च का हिस्सा है। यह केन्द्र प्रायोजित योजना है जिसे राज्यों में वितरित किया जायेगा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में इसका इस्तेमाल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पहले से एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन चल रहा है, यह नई तरह की तैयारियों के लिये अतिरिक्त कोष होगा जिसे तुरंत उपलब्ध कराया गया है। ‘‘यह (23,220 करोड़ रुपये) तुरंत उपलब्ध हैं, इसके खर्च की रफ्तार इस पर निर्भर करेगी कि राज्य यह कितनी जल्दी तय कर सकते हैं कि क्या करने की जरूरत है। हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि धन की कोई तंगी नहीं हो।’’ केन्द्रीय प्रायोजित योजनायें केन्द्र और राज्य दोनों की ओर से वित्तपोषित होती हैं। इस योजना में केन्द्र का हिस्सा 15,000 करोड़ रुपये होगा कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड की तीसरी लहर बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती है। सीतारमण ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये 50,000 करोड़ रुपये की रिण गारंटी योजना की भी घोषणा की है। इसमें अधिकतम 100 करोड़ रुपये तक का रिण तीन साल के लिये लिया जा सकेगा। इसके लिये ब्याज दर 7.95 प्रतिशत तय की गई है। इस रिण योजना में अपेक्षाकृत कम सुविधाओं वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य परियोजनायें लगाने को बढ़ावा दिया गया है। इन क्षेत्रों में स्वासथ्य सेवा ढांचे को विकसित करने के लिये बैंक इससे कम दर पर भी कर्ज दे सकते हैं। अपोलो अस्पताल समूह के चेयरमैन प्रताप सी रेड्डी ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिये वित्त मंत्री की घोषणायें उत्साह बढ़ाने वाली है और इससे देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से ऊपर आने में मदद मिलेगी। फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशुतोष रघुवंशी ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘हमें यह जानकार प्रसन्नता हुई कि देश के कम सुविधाओं वाले इलाकों में चिकित्वसा सुविधायें स्थापित करने के लिये 50,000 करोड़ रुपये देने की घोषणा की गई है। इसके अलावा विशेषतौर से बच्चों के लिये स्वास्थ्य सुविधायें जुटाने के लिये 23,000 करोड़ रुपये का आवंटन भी बच्चों पर केन्द्रित सेवाओं की चल रही तैयारियों को और मजबूती देगी।’’