मुंबई, 16 जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों के एक लेख में कहा गया है कि कोविड-19 टीकाकरण की गति और पैमाना आर्थिक पुनरूद्धार के रास्ते को तय करेगा। इसमें यह भी कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में महामारी तथा पहले से मौजूद चक्रीय और संरचनात्मक बाधाओं से पार पाने की जरूरी क्षमता तथा मजबूती है। अर्थव्यवस्था की स्थिति पर आरबीआई की मासिक पत्रिका में डिप्टी गर्वनर एम डी पात्रा और अन्य अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से लिखे गये लेख में कहा गया है कि मौजूदा आकलन के अनुसार महामारी से केवल घरेलू मांग प्रभावित हुई है। इसमें कहा गया है कि टीका स्वयं से महामारी का खात्मा नहीं करेगा। ‘‘हमें वायरस के साथ जीना सीखना होगा, टीके के साथ स्वास्थ्य सेवाओं, ‘लॉजिस्टिक’ और अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की जरूरत है।’’ लेख के अनुसार, ‘‘महामारी वास्तविक परिणामों के साथ एक वास्तविक झटका है। इसलिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पुनरूद्धार व्यापार निवेश और उत्पादकता वृद्धि की ठोस नींव पर तैयार हो।’’ भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी महामारी की दूसरी लहर से निपटने में लगी है। हालांकि सतर्क रुख के साथ उम्मीद अब लौट रही है। लेख में यह साफ किया गया है कि ये लेखकों के अपने विचार हैं और कोई जरूरी नहीं है कि आरबीआई के विचारों को प्रतिबिंबित करे। इसके अनुसार सकल आपूर्ति स्थिति से जुड़ी कई पहलुओं में स्थिति बेहतर है। इसमें कृषि और संपर्क रहित सेवाएं (डिजिटल सेवाएं) शामिल हैं जो महामारी के बीच अपना काम पहले की तरह कर रही हैं। वहीं औद्योगिक उत्पादन और निर्यात बढ़ा है। लेख में कहा गया है, ‘‘आने वाले समय में कोविड-19 टीकाकरण की गति और पैमाना आर्थिक पुनरूद्धार के रास्ते को तय करेगा। अर्थव्यवस्था में महामारी तथा पहले से मौजूद चक्रीय और संरचनात्मक बाधाओं से पार पाने की जरूरी क्षमता और मजबूती है।’’