कैनबरा, 25 अक्टूबर (एपी) ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को घोषणा की कि 2050 तक निवल शून्य (नेट जीरो) कार्बन उत्सर्जन के राष्ट्रीय लक्ष्य के लिए सरकार की गठबंधन साझेदार का समर्थन हासिल करने की खातिर किए गए समझौते के तहत कैबिनेट में ‘नेशनल पार्टी ऑफ ऑस्ट्रेलिया’ के पांचवें मंत्री को शामिल किया जाएगा। लक्ष्य के प्रति रविवार को बैठक में प्राप्त हुआ, ‘नेशनल पार्टी ऑफ ऑस्ट्रेलिया’ यानी ‘द नेशनल्स’ का सैद्धांतिक समर्थन प्रधानमंत्री मॉरिसन के लिए बड़ी सफलता है। मॉरिसन स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के लिए बृहस्पतिवार को रवाना होने से पहले ऑस्ट्रेलिया के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए अधिक महत्वाकांक्षी योजना बनाना चाहते हैं। ‘द नेशनल्स’ के सांसदों ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है कि उन्होंने लक्ष्यों के प्रति समर्थन देने के लिए क्या शर्तें रखी हैं। मॉरिसन की कैबिनेट इन शर्तों पर विचार कर रही है। नेशनल्स के नेता बार्नबी जॉयस ने यह बताने से इनकार कर दिया कि क्या पार्टी ने संसाधन मंत्री कीथ पिट को नेशनल्स का पांचवां कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की मांग की थी। बाद में मॉरिसन ने कहा कि पिट उनकी कैबिनेट में शामिल होंगे। पिट ऑस्ट्रेलिया के दशकों तक कोयला खनन जारी रखने के समर्थक हैं। मॉरिसन ने एक बयान में कहा, ‘‘मंत्री पिट संसाधन क्षेत्र में एक शक्तिशाली आवाज हैं और वह यह सुनिश्चित करने के लिए भी अहम हैं कि हम नई ऊर्जा अर्थव्यवस्था और महत्वपूर्ण खनिजों संबंधी अवसरों का दोहन करते हुए पारंपरिक निर्यात में ऑस्ट्रेलिया की ताकत बढ़ाएं।’’ जॉयस ने न तो इस बात की पुष्टि की और न ही इस बात का खंडन किया कि उन्होंने अपने सहयोगियों को बताया था कि वह निवल शून्य कार्बन उत्सर्जन का विरोध करते हैं। जॉयस ने ‘ऑस्ट्रेलियन कोर्प’ रेडियो से कहा, ‘‘यदि नेशनल्स प्रस्ताव से शत-प्रतिशत खुश होते, तो उन्हें वार्ता नहीं करनी पड़ती।’’ नेशनल्स के उप नेता डेविड लिटिलप्राउड ने कहा कि समझौते की विस्तृत जानकारी मंगलवार की सुबह तक सार्वजनिक की जाएगी। उन्होंने कहा कि कैबिनेट के प्रस्ताव में नेशनल्स द्वारा कराए गए संशोधन ग्रामीण ऑस्ट्रेलिया में नौकरियां बचाएंगे। उत्सर्जन में कमी ऑस्ट्रेलिया में राजनीतिक रूप से एक जटिल मुद्दा है। ऑस्ट्रेलिया कोयले और तरल प्राकृतिक गैस के दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। कोयले से पैदा की जाने वाली बिजली पर भारी निर्भरता के कारण ऑस्ट्रेलिया दुनिया के सबसे अधिक, प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक देशों में शामिल है। ग्रामीण व्यवस्था को प्रधानता देने वाले नेशनल्स पारंपरिक रूप से किसानों के हितों का प्रतिनिधित्व करते आए हैं, लेकिन उन्हें अब जीवाश्म ईंधन उद्योगों के समर्थकों के तौर पर देखा जाता है। ऑस्ट्रेलिया ने 2015 में पेरिस जलवायु सम्मेलन में संकल्प लिया था कि वह 2030 तक, कार्बन उत्सर्जन स्तर में 26 से 28 प्रतिशत की कमी लाएगा। इसके बाद से ऑस्ट्रेलिया ने इस दिशा में कोई लक्ष्य तय नहीं किया है, जबकि कई देश इससे कहीं अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं। एपी सिम्मी मनीषामनीषा