ईवी बनाने वाली चाइनीज कंपनी को यहां फैक्ट्री लगाने की नहीं मिली अनुमति

नई दिल्ली: कार बनाने वाली चाइनीज कंपनी BYD का भारत में फैक्ट्री खोलने के प्लान को झटका लगा है। कंपनी को भारत सरकार से हरी झंडी नहीं मिली है। चीन की इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) बनाने वाली कंपनी BYD ने हैदराबाद की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) से हाथ मिलाने की घोषणा की थी। दोनों कंपनियों ने मल कर यहां इलेक्ट्रिक व्हीकल (Electric Vehicle) बनाने की फैक्ट्री डालने का प्रस्ताव दिया था। इसमें करीब एक अरब डॉलर का निवेश होना था।सरकार ने खारिज किया प्रस्तावसरकारी सूत्रों से खबर मिली है कि BYD का भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) संयंत्र लगाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। एमईआईएल और बीवाईडी के एक संयुक्त उद्यम ने सरकार को तेलंगाना में इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन संयंत्र लगाने का प्रस्ताव दिया था। इस पर एक अरब डॉलर (लगभग 8,200 करोड़ रुपये) का निवेश किया जाना था। सूत्रों ने बताया कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को यह प्रस्ताव भेजा गया था। इस प्रस्ताव को जरूरी पड़ताल एवं मंजूरियों के लिए भारी उद्योग मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के पास भी भेजा गया था। सूत्रों के मुताबिक, सरकार के स्तर पर इस प्रस्ताव के तमाम पहलुओं पर गौर करने के बाद इसे मंजूरी नहीं देने का फैसला किया गया है।कंपनी ने नहीं दी प्रतिक्रियाइस बारे में प्रतिक्रिया के लिए बीवाईडी को भेजे गए ईमेल का फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है। उसकी साझेदार एमईआईएल ने भी इस घटनाक्रम के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बीवाईडी फिलहाल एमईआईएल की ओलेक्ट्रा में प्रौद्योगिकी साझेदार के तौर पर जुड़ी हुई है।पड़ताल है जरूरीगौरतलब है कि किसी विदेशी निवेश के प्रस्ताव में काफी कुछ देखना पड़ता है। विदेशी कंपनी के साझेदार होने से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नियमों के तहत भी पड़ताल करनी होती है। प्रावधानों के मुताबिक, भारत से जमीनी सीमा से सटे देशों से आने वाले किसी भी निवेश प्रस्ताव की सघन समीक्षा की जाती है और उसे कई मंत्रालयों की मंजूरी लेनी होती है। केंद्र सरकार ने भारत से जमीन से जुड़े हुए पड़ोसी देशों से आने वाले किसी भी निवेश प्रस्ताव पर पूर्व-अनुमति को अनिवार्य कर दिया है। यह नियम चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यामां और अफगानिस्तान के लिए लागू है। भारत को अप्रैल, 2000 से लेकर मार्च, 2023 के बीच चीन से कुल 2.5 अरब डॉलर का एफडीआई मिला है।(पीटीआई के इनपुट के साथ)