नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बेंगलुरु की एक अदालत में विप्रो के पूर्व चेयरमैन अजीम प्रेमजी और अन्य के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाते हुए इस बारे में निचली अदालत के न्यायाधीश से रिपोर्ट तलब की है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने अधिवक्ता आर सुब्रमण्यम से प्रेमजी और अन्य से उनके खिलाफ ‘फर्जी मुकदमेबाजी का जाल बनाने’ के लिए बिना शर्त माफी मांगने को भी कहा है। पीठ ने कहा, ‘‘23वें अतिरिक्त सिविल और सत्र न्यायाधीश तथा विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) बेंगलुरु के समक्ष लंबित कार्रवाई पर रोक लगाई जाती है।’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘इस मामले को गंभीर मानते हैं। इसीलिए संबंधित सत्र न्यायाधीश से रिपोर्ट मांगी जा रही है, क्योंकि उन्होंने आपराधिक शिकायतों के साथ एक समन आदेश जारी किया…और इस न्यायालय के मामले में कार्रवाई पर रोक के आदेश को ध्यान में नहीं रखा।’’ पीठ ने कहा कि क्या हमारे कार्रवाई स्थगन के आदेश को सत्र न्यायाधीश के संज्ञान में लाया गया था। शीर्ष अदालत ने पिछले साल पांच अक्टूबर को याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रेमजी, उनकी पत्नी और अन्य के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। याचिका में बेंगलुरु की एक अदालत द्वारा जारी समन को खारिज करने का आग्रह किया गया था। इसमें कहा गया था कि एक गैर-सरकारी संगठन ने ‘गलत इरादे से’ तीन कंपनियों के प्रेम जी समूह की कंपनी में विलय में विश्वास हनन और भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे। न्यायालय ने कहा कि प्रेमजी और अन्य के खिलाफ मुकदमेबाजी शुरू करने वाले सुब्रमण्यम ने अदालत के सामने स्पष्ट रूप से कहा है कि सत्र न्यायाधीश अंतरिम आदेश से पूरी तरह अवगत थे। ऐसे में न्यायालय ने निचली अदालत के न्यायाधीश से रिपोर्ट तलब करने का फैसला किया है। पीठ ने कहा, ‘‘सत्र न्यायाधीश दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट भेज सकते हैं। इस आदेश की एक प्रति तत्काल सत्र न्यायाधीश को भेजी जाए।’’ मंगलवार को विस्तृत सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम ने इस बात को स्वीकार किया कि वह अपने जीवन के उस चरण में हैं जबकि अपने पिछले आचरण का पश्चाताप करना चाहते हैं। पीठ ने कहा, ‘‘वह अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने के लिए अपीलकर्ताओं और अन्य पक्षों के साथ अपने पिछले आचरण के लिए हलफनामा देने को तैयार हैं।’’