नयी दिल्ली, 21 जून (भाषा) सरकार ने सूचीबद्ध होने के समय एक लाख करोड रुपये से अधिक बाजार पूंजीकरण रखने वाली कंपनियों के लिये सूचीबद्धता नियमों को आसान बनाया है। ऐसी कंपनियां अब केवल अपने शेयरों का पांच प्रतिशत बाजार में बेच सकेंगी। इस फैसले से भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रस्तावित आईपीओ के दौरान सरकार को फायदा मिलेगा। इस तरह की इकाइयों को दो वर्षों में अपने सार्वजनिक शेयरधारिता को बढ़ाकर 10 प्रतिशत करना होगा और पांच वर्षों में इसे कम से कम 25 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले आर्थिक मामलों के विभाग ने प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) नियमों में संशोधन किया है। कानूनी सेवा प्रदाता कंपनी साइरिल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर और प्रमुख (पूंजी बाजार) यश अशर ने कहा कि ऐसी चिंताएं थीं कि भविष्य में बहुत बड़े आकार वाले आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गमों) में 10 प्रतिशत शेयरों की बिक्री पेशकश करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। उन्होंने कहा, सूचीबद्ध होने के समय एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियां अपने आईपीओ को पांच प्रतिशत तक सीमित रख (10 प्रतिशत की तुलना में) सकेंगी और इससे उनको सुविधा होगी। यह ताजा संशोधन से संभव हो सकेगा। अशर ने कहा कि जहां इस संशोधन से भारत में ज्यादातर निर्गमों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, इससे “एलआईसी के प्रस्तावित आईपीओ के लिए भारत सरकार को लाभ होगा।” उन्होंने कहा कि यह पूरा संशोधन इस बात का संज्ञान करने की दिशा में किया गया एक प्रगतिशील संशोधन है कि भारत की कंपनियां पूर्व की तुलना में अब ज्यादा बड़ी हैं। नियमों में संशोधन की अधिसूचना 18 जून को जारी की गयी थी।