नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सार्वजनिक क्षेत्र के एक उपक्रम (पीएसयू) द्वारा दूसरे पीएसयू में हिस्सेदारी खरीद के लिए उधार पर वित्त जुटाने की प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए कहा है कि यह ‘विनिवेश की भावना’ के अनुरूप नहीं है। कैग ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (सीपीएसई) के बारे में संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में विनिवेश पर अपनी टिप्पणी की है। उसने कामराजार पोर्ट ट्रस्ट (केपीएल) के विनिवेश के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर यह टिप्पणी की है। केपीएल को चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट के हाथों बेच दिया गया था। इस रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि रणनीतिक विनिवेश के दौरान मूल्यांकन प्रक्रिया में किए गए फैसलों को सही ठहराना और उन्हें तर्कसंगत बताने के क्रम में अंतर्निहित तर्क की स्पष्ट रूप से दलील दी जा सकती है। इसका आरक्षित मूल्य एवं परिसंपत्तियों के मूल्यांकन पर खासा असर होता है। कैग रिपोर्ट के मुताबिक, स्वतंत्र बाहरी निगरानीकर्ता की व्यवस्था संदर्भ के अनुरूप ही संपादित होने की जरूरत है। इससे रणनीतिक विनिवेश की लेनदेन प्रक्रिया की देखरेख का काम हो सकता है। इससे सीपीएसई के मूल्यांकन को भी आधार मिलेगा। इसके मुताबिक वर्ष 2019-20 में विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये का संशोधित अनुमान था लेकिन इसमें से सिर्फ 50,299 करोड़ रुपये ही जुटाए जा सके जो कि लक्ष्य से 23 प्रतिशत कम है।