नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण विनियामक एनपीपीए ने शुक्रवार को कहा कि उसने तीन दवाओं – कार्बामाजेपिन, रेंटिडिन, ईबुप्रोफेन के नौ निर्धारित फॉर्मूलेशन के अधिकतम मूल्य में 50 प्रतिशत की एकबारगी वृद्धि की मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य इन दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने अपने आदेश में कहा कि इन दवाओं का इस्तेमाल शुरुआती इलाज के लिए किया जाता है और ये देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण हैं। एनपीपीए ने 28 जून को हुई अपनी बैठक में डीपीसीओ 2013 के पैराग्राफ 19 के तहत इन दवाओं के फॉर्मूलेशन के लिए मूल्य वृद्धि पर विचार विमर्श किया और संज्ञान लिया कि ये निर्धारित फॉर्मूलेशन कम कीमत वाली हैं और उनकी कीमतों को बार बार मूलय नियंत्रण में रखा गया है। डीपीसीओ 2013, औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 है। जहां कार्बामाजेपिन का इस्तेमाल मिर्गी के इलाज में किया जाता है, रेंटिडिन का इस्तेमाल पेट और आंत के अल्सर के इलाज में होता है। रेंटिडिन का इस्तेमाल आंत का अल्सर ठीक होने के बाद बीमारी को दोबारा होने से रोकने के लिए किया जाता है। वहीं ईबुप्रोफेन का इस्तेमाल सिर दर्द, दांत दर्द, मासिक धर्म के दौरान होने वाला दर्द, मांसपेशियों का दर्द या गठिया जैसी तकलीफों में दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है। एनपीपीए ने कहा कि उसका मानना है कि इन दवाओं पर लगातार मूल्य नियंत्रण से कहीं इनका उत्पादन वहनीय नहीं होने से ऐसी स्थिति पैदा न हो जहां ये दवाओं बाजार में उपलब्ध न हों और लोग महंगे विकल्पों के इस्तेमाल के लिए मजबूर हो। एनपीपीए ने कहा है कि बार बार मूल्य नियंत्रण से उत्पन्न मौजूदा स्थिति को देखते हुये इन दवाओं के मौजूदा अधिकतम मूल्य में जनहित को ध्यान में रखते हुये एक बारगी 50 प्रतिशत वृद्धि पर विचार किया जा रहा है। यह वृद्धि सस्ती दवाओं और स्वास्थ उत्पादों पर गठित स्थायी समिति की सलाह पर की जा रही है। एनपीपीए डीपीसीओ 2013 की अनुसूची-एक के तहत अधिसूचित दवाओं के अधिकतम मूल्य का निर्धारण करता है। इसके साथ ही वह इन दवाओं और गैर-अधिसूचित दवाओं के दाम में सालाना आधार पर होने वाली वृद्धि पर नजर रखता है।