नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कंपनियों पर लगने वाले कर (कॉरपोरेट कर) के आकलन में गड़बड़ियों एवं अनियमतताओं का जिक्र करते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से कहा है कि वह ऐसी गलतियों से बचने के लिए एक पुख्ता आईटी प्रणाली एवं आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था लागू करे। कैग की कंपनी कर के आकलन पर तैयार रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गई। यह रिपोर्ट 12,476.53 करोड़ रुपये के मूल्य वाले 356 कर मामलों की लेखा परीक्षा के बाद तैयार की गई है। यह रिपोर्ट कहती है, “ये मामले मुख्यतः कंपनियों की आय एवं कर की गणना में हुई खामियों से संबंधित हैं। ब्याज के मामले में गड़बड़ी, मूल्य ह्रास , कारोबार और पूंजी के नुकसान को शामिल करने में अनियमितता और रियायतों एवं छूट में गड़बड़ी के भी मामले हैं।” कैग ने अपने लेखा परीक्षण में पाया है कि अधिक राशि वाले 356 मामलों में से 38 घटनाओं में 3,976.56 करोड़ रुपये के कंपनी कर आकलन में गड़बड़ी हुई। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने कहा है कि कर एवं अधिभार की गलत दरें लगना और ब्याज लगाने में खामियां होना आयकर विभाग के आंतरिक नियंत्रण में कमजोरी का संकेत है जिसे दुरूस्त करने की जरूरत है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने लेखा-परीक्षण वाले मामलों में गड़बड़ी ठीक करने के कदम उठाए हैं लेकिन ये केवल कुछ मामले ही हैं। व्यापक स्तर पर कर आकलन में ऐसी गड़बड़ियों से इनकार नहीं किया जा सकता है। कैग ने कहा, “सीबीडीटी को न केवल अपने आकलन पर फिर से गौर करने की जरूरत है बल्कि उसे भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों से बचने के लिए एक पुख्ता आईटी प्रणाली और आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था स्थापित करने की जरूरत है।” कैग के मुताबिक, सीबीडीटी आगे यह पड़ताल कर सकता है कि चिह्वित गड़बड़ियां अगर चूक नहीं हैं तो आयकर विभाग को कानून के मुताबिक जरूरी कदम उठाने चाहिए। रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2019-20 में प्रत्यक्ष कर प्राप्ति में एक साल पहले की तुलना में 7.6 प्रतिशत की कमी आई। इस दौरान सकल कर राजस्व में प्रत्यक्ष करों की हिस्सेदारी घटकर 52.3 प्रतिशत पर आ गई, जो 2018-19 में 54.7 प्रतिशत थी। कंपनी कर संग्रह 2019-20 में 16.1 प्रतिशत घटकर 5.57 लाख करोड़ रुपये रही जो एक साल पहले 6.63 लाख करोड़ रुपये थी। वहीं आयकर संग्रह 2019-20 में चार प्रतिशत बढ़कर 4.80 लाख करोड़ रुपये रही।