नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) किसान-रेल अब तक 60 मार्गों पर शुरू की जा चुकी है जिसमें 2.7 लाख टन कृषि उत्पादों को देश के एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा गया। भारतीय रेल ने बुधवार को यह जानकारी दी। केन्द्रीय बजट 2020-21 में की घोषणा के तहत देश में किसान रेलगाड़ियां चलाई गईं। इनको चलाने का मकसद फलों, सब्जियों, मांस, अंडे, चिकन, मछली और डेयरी उत्पादों को उनके उत्पादन अथवा अधिकता वाले स्थानों से खपत वाले दूसरे अथवा कमी वाले इलाकों में भेजना है। भारतीय रेल ने जारी एक वक्तव्य में कहा है, ‘‘किसान रेल कृषि क्षेत्र में आय बढ़ाने की सरकार की योजना का अभिन्न हिस्सा है। रेलवे के देशव्यापी नेटवर्क के जरिये कृषि उतपादों के परिवहन को प्रोत्साहन दिया जाता है। इससे किसानों को देश के व्यापक बाजारों तक पहुंच उपलब्ध होती हे। किसान रेल अब तक 2.7लाख टन ऐसे सामानों का परिवहन कर चुकी है। वहीं अब तक 60 मार्गों पर किसान रेल चलाई गई है।’’ किसान रेल के जरिये फल, सब्जियों, मछली, अंडा, मांस आदि के परिवहन पर किसानों को भाड़े में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। शेष भाड़े का बोझ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय फल एवं सब्जियों के परिवहन में ‘आपरेशन ग्रींस — टॉप टू टोटल’ योजना के तहत वहन करती है। किसान रेल में माल की न्यूनतम मात्रा को लेकर कोई सीमा तय नहीं की गई है। इससे छोटे और सीमांत किसान भी बड़े बाजार तक अपना माल पहुंचा सकते हैं। किसान रेल के तहत पहली रेलगाड़ी — महाराष्ट्र के देवलाली और बिहार के दानापुर – के बीच चलाई गई। रेलमंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सात अगस्त 2020 को इसकी शुरुआत की।