नयी दिल्ली पांच सितंबर (भाषा) घर खरीदारों के संगठन एफपीसीई ने परियोजनाओं को पूरा करने के लिए महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के रियल एस्टेट नियामकों द्वारा डेवलपरों को दिए गए अधिक समय पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे घर खरीदार वित्तीय दबाव में आ जाएंगे। फोरम फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (एफपीसीई) ने इस संबंध में आवास एवं शहरी मामलों के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखा है। एफपीसीई ने केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने और इन तीनों राज्यों के नियामकों से फैसला वापस लेने का निर्देश देने की अपील की है। एफपीसीई के अध्यक्ष अभय कुमार उपाध्याय ने कहा कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के रेरा प्राधिकरणों ने रियल एस्टेट परियोजनाओं के पंजीकरण की अवधि को ‘मनमाने ढंग से’ बढ़ाया है और अधिक समय दिया है। एफपीसीई ने पत्र में कहा कि केंद्रीय आवास मंत्रालय ने पिछले साल राज्य रेरा प्राधिकरण को दिए गए तीन महीने की अवधि के विकल्प के साथ देश भर में रियल एस्टेट परियोजनाओं को पूरा करने के लिए छह महीने की अवधि दी थी। उपाध्याय ने कहा कि एफपीसीई ने रियल्टी कानून रेरा को पारित करने और लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उसने इस तरह अधिक समय देने का स्पष्ट विरोध किया था। सीएसी की बैठक में उन्होंने कहा कि एफपीसीई ने घर खरीदारों के लिए राहत मांगी थी, लेकिन इस पर भी विचार नहीं किया गया। एफपीसीई ने कहा कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के रियल एस्टेट नियामकों ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर की आड़ में परियोजनाओं के लिए डेवलपरों को अधिक समय देकर घर खरीदारों के अधिकारों की घोर अवहेलना की है।