नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) केंद्र ने दिल्ली सरकार को घर घर राशन पहुंचाने की योजना को शुरुआत में प्रायोगिक आधार पर लागू करने का सुझाव दिया है। केन्द्र का कहना है कि इस योजना में कई बातों को लेकर स्पष्टता की कमी है, जैसे कि गेहूं का आटा और पैकिंग में दिये जाने वाला खाद्यान्न किस दर पर लाभार्थी को पहुंचाया जायेगा। इसके लिए लाभार्थियों की सहमति ली गई या नहीं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत राशन दुकानों के जरिये तीन रुपये किलो (चावल), दो रुपये किलो (गेहूं) और एक रुपये प्रति किलो (मोटे अनाज) को अत्यधिक रियायती दर पर देशभर में उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि, दिल्ली सरकार की प्रस्तावित योजना में गेहूं और चावल के बजाय गेहूं का आटा पैकिंग में वितरित किया जाना शामिल है। दिल्ली सरकार को 22 जून को लिखे एक पत्र में केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने प्रस्तावित ‘होम डिलीवरी योजना’ में कई चुनौतियों और चिंताओं की ओर इशारा किया। मंत्रालय ने कहा कि प्रस्तावित योजना “एनएफएसए की वैधानिक और कार्यात्मक आवश्यकता को पूरा नहीं करती है और इसलिए, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार द्वारा दिये गए प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जा सकता है”। हालांकि, पत्र में मंत्रालय ने राज्य सरकार को प्रस्तावित योजना को पहले प्रायोगिक तौर पर लागू करने का सुझाव दिया। मंत्रालय ने कहा, “इसमें कोई स्पष्टता नहीं है कि यह योजना चुनिंदा क्षेत्रों में प्रायोगिक रूप से शुरू की जा रही है या एक ही बार में पूरी दिल्ली में शुरू की जा रही है। पहले प्रायोगिक आधार पर शुरू करने का सुझाव दिया जाता है।” मंत्रालय ने लाभार्थियों को राशन घर पर पहुंचाने की दरों पर स्पष्टता की कमी की ओर इशारा करते हुए कहा, “इस बात को रेखांकित किया गया है कि, एनएफएसए नियमों के अनुसार, गेहूं का आटा केवल लाभार्थियों की उचित सहमति लेने के बाद ही अधिक निर्गम मूल्य पर वितरित किया जा सकता है।’’ उसने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि इस पहल को लेकर राज्य सरकार द्वारा लाभार्थियों की सहमति प्राप्त की गई है या नहीं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि पैकेज्ड गेहूं का आटा और चावल जिसमें मिलिंग, प्रसंस्करण और अतिरिक्त परिवहन और वितरण लागत शामिल है – को मौजूदा सब्सिडी दरों पर या अधिक दरों पर लाभार्थियों तक पहुंचाया जाएगा। इसके अलावा, मंत्रालय ने कहा कि इस बात पर भी कोई स्पष्टता नहीं है कि लाभार्थियों के पते में बदलाव के मामले में भी, राज्य सरकार हर महीने पैकेज्ड वस्तुओं की निर्बाध डिलीवरी किस प्रकार सुनिश्चित करेगी। इस बात पर भी कोई स्पष्टता नहीं है कि दिल्ली सरकार होम डिलीवरी योजना को केंद्र के राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी सुविधा के साथ कैसे एकीकृत करेगी और प्रवासियों को किस प्रकार राशन की आपूर्ति करेगी क्योंकि किरायेदार अपने अस्थायी आवास को बदलते रहते हैं। उसने कहा कि यह भी स्पष्ट नहीं है कि राज्य सरकार सड़क पर रहने वालों, कूड़ा बीनने वालों, प्रवासी मजदूरों, निर्माण श्रमिकों, रिक्शा चालकों, ऑटो चालकों को मासिक राशन की आपूर्ति कैसे सुनिश्चित करने की योजना बना रही है – जिनका दिल्ली में कोई स्थायी पता नहीं है। इस पृष्ठभूमि में, मंत्रालय ने फिर से दिल्ली सरकार से एनएफएसए के लंबित दायित्व को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा, जिसके तहत गरीब लाभार्थियों को इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ईपीओएस) मशीनों के माध्यम से खाद्यान्न वितरित करना आवश्यक है। दिल्ली सरकार ने जून में राशन की दरवाजे पर डिलीवरी की योजना शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन उसे उपराज्यपाल से मंजूरी नहीं मिली।