नई दिल्ली: राजस्थान का छोटा सा शहर कोटा (Kota) पूरे देश में आईआईटी और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी का गढ़ बन चुका है। हर साल लाखों की संख्या में यहां (Kota City) बच्चे परीक्षा की तैयारी करने आते हैं। बच्चों की भारी संख्या के साथ कोटा में कोचिंग का कारोबार भी हजारों करोड़ रुपये में पहुंच चुका है। कोचिंग का हब (Coaching Industry) कोटा आजकल चर्चा में है। पिछले 24 घंटे में कोटा में दो छात्रों ने सुसाइट किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोटा में इस साल अब तक करीब 23 छात्र सुसाइड कर चुके हैं। कोटा में आज छोटे-बड़े सभी मिलाकर करीब डेढ़ सौ से ज्यादा कोचिंग संस्थान हैं। ये नीट और जेईई की तैयारी कराते हैं।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर साल कोटा में जुलाई से लेकर जनवरी महीने के बीच 2 लाख से ज्यादा छात्र नीट यूजी और जेईई की तैयारी करने के लिए आते हैं। कोटा में कोचिंग का कारोबार (Kota Coaching Industry) तेजी से बढ़ता जा रहा है। इससे शहर की अर्थव्यवस्था को भी तेज रफ्तार मिली है। इससे सरकार को भी हर साल अच्छा टैक्स मिल रहा है। कोचिंग सेंटर रोजगार के भी सबसे बड़े हब बन गए हैं। आइए आपको बताते हैं आज कोटा में कोचिंग का कितना बड़ा कारोबार है। इसकी शुरुआत कैसे हुई थी।Kota News: 24 घंटे में दो सुसाइड से कोटा में हड़कंप, कोचिंग सेंटरों में दो महीने तक टेस्ट-परीक्षाओं पर रोक5 हजार करोड़ का कारोबारमीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजस्थान के कोटा में कोचिंग का कारोबार आज करीब 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का हो चुका है। कोटा में कोचिंग सेंटर की करीब सालाना फीस 40 हजार रुपये से 1.5 लाख रुपये तक है। यहां छह बड़े कोचिंग संस्थान हैं। इनमें 5 हजार से ज्यादा फुल टाइम स्टूडेंट्स हैं। देश भर में जेईई और नीट की तैयारी के लिए कोटा के कोचिंग संस्थान बेस्ट माने जाते हैं. इसे कोटा फैक्ट्री या कोटा जंक्शन के नाम से भी जाना जाता है। यहां यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, ओडिशा सहित कई राज्यों के छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए आते हैं।सरकार को मिलता है टैक्सरिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को कोटा कोचिंग इंडस्ट्री से करीब 700 करोड़ रुपये का टैक्स हर साल मिलता है। कोटा कोचिंग सेंटर रोजगार का भी सबसे बड़ा हब है। यहां कोचिंग सेंटरों में दो लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा होती है। लोगों को रोजगार के साथ कोटा की कोचिंग में अच्छी सैलरी भी मिल रही है।kota Suicide cases : आदर्श का शव देख बिलख पड़े भाई -बहन, फिर परिवार ने लिया बड़ा फैसला, जानें पूरा मामलाकोटा ऐसे बना कोचिंग का अड्डामीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1991 में यहां कोचिंग क्लासेज गिने-चुने ही हुआ करते थे। इस दौरान यहां एक कोचिंग के 10 छात्रों का चयन आईआईटी में हो गया। इसके बाद अगले साल यहां 50 छात्र आईआईटी में चुने गए। इसके बाद से कारवां चल पड़ा। साल 2015 तक कोटा में कोचिंग का कारोबार हजार करोड़ रुपये का हो चुका था।रियल स्टेट को भी लगे पंखकोचिंग के साथ कोटा में रियल स्टेट का कारोबार भी लगातार बढ़ रहा है। शहर में हॉस्टल की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पूरे कोटा शहर में हॉस्टलों की संख्या का कोई पुख्ता आंकड़ा अभी मौजूद नहीं है। यहां छात्र बड़ी संख्या में घरों में पेइंग गेस्ट के रूप में भी रह रहे हैं। कोचिंग ने शहर की तस्वीर पूरी तरह से बदल दी है। होटल संचालकों से लेकर बढ़ई-पेंटर और ऑटोरिक्शा वाले तक की किस्मत चमक गई है। कोटा शहर की पूरी अर्थव्यवस्था कोचिंग पर ही निर्भर है।Opinion: अभिनव तुम रोना नहीं, मेरा सपना भी तुम पूरा करना… I Am Sorry DAD यहीं तक था कोटा का सफरकपड़ों और किताबों का बड़ा बाजारकोटा कोचिंग हब होने के साथ किताबों का भी बड़ा बाजार है। रिपोर्ट बताती है कि हर साल छात्र यहां करीब 50 से 60 लाख किताबें खरीदते हैं। हर एक स्टूडेंट किताबों और स्टेशनरी पर करीब 10 हजार रुपये तक खर्च करता है। छात्रों को यहां यूनिफार्म भी खरीदनी पड़ती है। इसका भी यहां पर बड़ा बाजार है।खाने-पीने का भी खर्चाकोटा में रहने वालों छात्रों का एक बड़ा खर्चा खाने-पीने का भी होता है। यहां किराए पर रहने वाले छात्र खाने पर करीब हर साल 50 हजार रुपये तक खर्च करते हैं। ट्रांसपोर्ट पर भी छात्रों को रोजाना करीब 50 रुपये तक खर्च करने पड़ जाते हैं। यहां छात्र हर साल काफी नई साइकिलें भी खरीदते हैं।