मुंबई, 17 जून (भाषा) कोरोना वायरस महामारी की अप्रैल-मई में आई विनाशकारी दूसरी लहर से उत्पादन के संदर्भ में देश को 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। रिजर्व बैंक के अधिकारियों के एक लेख में यह कहा गया है। इसमें कहा गया है कि पिछले साल देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ के बाद इस बार दूसरी लहर की रोकथाम के लिये राज्यों के स्तर पर लगाये गये ‘लॉकडाउन’ की वजह से असर मुख्य रूप से घरेलू मांग के संदर्भ में रहा। आरबीआई की मासिक पत्रिका में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर केंद्रीय बैंक के अधिकारियों के लेख में कहा गया है, ‘‘इसीलिए दूसरी लहर के कारण 2 लाख करोड़ रुपये के उत्पादन का नुकसान हुआ है।’’ इसके अलावा, इस लहर का असर छोटे शहरों और गांवों पर भी पड़ा। इससे ग्रामीण मांग पर प्रतिकूल असर पड़ा। सरकारी खर्च से पिछले साल जो असाधारण तेजी देखने को मिली थी, इस बार स्थिति वैसी रहने की संभावना नहीं है। लेख में कहा गया है, ‘‘अच्छी बात यह है कि आपूर्ति स्थिति से जुड़े कई मामलों में स्थिति बेहतर है। इसमें कृषि और संपर्क रहित सेवाएं (डिजिटल सेवाएं) शामिल हैं जो महामारी के बीच अपना काम पहले की तरह कर रही हैं। वहीं औद्योगिक उत्पादन और निर्यात बढ़ा है।’’इसमें कहा गया है, ‘‘आने वाले समय में कोविड-19 टीकाकरण की गति और पैमाना आर्थिक पुनरूद्धार के रास्ते को तय करेगा। अर्थव्यवस्था में महामारी तथा पहले से मौजूद चक्रीय और संरचनात्मक बाधाओं से पार पाने की जरूरी क्षमता और मजबूती है।’’ इसमें कहा गया है कि टीका स्वयं से महामारी का खात्मा नहीं करेगा। ‘‘हमें वायरस के साथ जीना सीखना होगा, टीके के साथ स्वास्थ्य सेवाओं, ‘लॉजिस्टिक’ और अनुसंधान में निवेश बढ़ाने की जरूरत है।’’ लेख के अनुसार, ‘‘महामारी वास्तविक परिणामों के साथ एक वास्तविक झटका है। इसलिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पुनरूद्धार व्यापार निवेश और उत्पादकता वृद्धि की ठोस नींव पर तैयार हो।’’ लेख में यह साफ किया गया है कि ये लेखकों के अपने विचार हैं और कोई जरूरी नहीं है कि आरबीआई के विचारों को प्रतिबिंबित करे।