मुंबई, 10 दिसंबर (भाषा) कोविड-19 महामारी ने ब्रिक्स देशों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने के साथ ही बेरोजगारी, गरीबी और स्त्री-पुरूष असमानता बढ़ाने में भी योगदान दिया है। ब्रिक्स देशों के केंद्रीय बैंकों से जुड़े शोध समूह सीआरए (कंटिनजेन्ट रिजर्व एरेंजमेन्ट) शोध समूह द्वारा तैयार आर्थिक बुलेटिन में यह कहा गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह बुलेटिन जारी किया। भारत इस समय ब्रिक्स समूह का अध्यक्ष है। इस बुलेटिन के मुताबिक ब्राजील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका की भागीदारी वाले समूह ब्रिक्स के सदस्य देशों के लिए महामारी आर्थिक एवं सामाजिक रूप से हानिकारक साबित हुई है। यह बुलेटिन कहता है कि सभी ब्रिक्स देशों पर महामारी की मार पड़ी है लेकिन चीन को छोड़कर बाकी सभी सदस्य देशों को इसकी कई लहरों का सामना करना पड़ा है। इस संकट ने आर्थिक रूप से खासा नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा इन देशों का सामाजिक ताना-बाना भी इसके असर नहीं बच पाया है। कोविड काल में ब्रिक्स देशों में बेरोजगारी, गरीबी औऱ स्त्री-पुरूष असमानता बढ़ी है और पलायन के जोखिम भी देखने को मिले। बुलेटिन के मुताबिक, वर्ष 2020 के गहरे असर से अब देश उबर रहे हैं लेकिन सदस्य देशों के बीच इसका स्तर अलग-अलग है। चीन संक्रमण पर काबू पाने में सफल हो गया जिसकी वजह से उसका पुनरुद्धार तेज रहा। भारत और ब्राजील भी धीरे-धीरे वृद्धि के मार्ग पर लौट रहे हैं लेकिन रूस और दक्षिण अफ्रीका अभी कोविड-पूर्व स्तर तक नहीं पहुंच पाए हैं। ब्रिक्स बुलेटिन कहता है कि अभी महामारी का खतरा टला नहीं है लिहाजा यह कह पाना मुश्किल है कि आर्थिक पुनरुद्धार की रफ्तार कितनी मजबूत बनी रहेगी। इस दिशा में टीकाकरण को काफी अहम बताया गया है।