नई दिल्ली: दुनिया के करीब एक दर्जन देश चीन के कर्ज में बुरी तरह से फंसे हुए हैं। इन देशों पर अरबों डॉलर का कर्ज है और वे आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं। इनमें पाकिस्तान, केन्या, जाम्बिया, लाओस और मंगोलिया शामिल हैं। इस देशों के विदेशी मुद्रा भंडार का अधिकांश हिस्सा चीन के कर्ज का ब्याज चुकाने में जा रहा है। हालत यह है कि उनके पास स्कूल चलाने, अपने लोगों को बिजली देने और पेट्रोल-डीजल के लिए भी पैसे नहीं हैं। इनमें से कई देश कंगाल होने के कगार पर पहुंच गए हैं। उनके पास कुछ ही महीने के इम्पोर्ट के लिए पैसा बचा है। चीन किसी का भी लोन माफ करने को तैयार नहीं है। साथ ही यह भी साफ नहीं है कि चीन ने इस देशों को किस शर्त पर और कितना लोन दिया है। सबकुछ छिपा हुआ है। इस वजह से दूसरे देश भी इन देशों की मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।चीन के कर्ज के कारण दो देश श्रीलंका और जाम्बिया पहले ही डिफॉल्ट कर चुके हैं। पाकिस्तान में टेक्सटाइल सेक्टर में काम करने वाले लाखों कामगारों को निकाला जा चुका है। इस देश पर भारी कर्ज है और विदेशी मुद्रा भंडार करीब-करीब सूख चुका है। उसके लिए देश में बिजली आपूर्ति बनाए रखना और मशीनों को चालू रखना भारी पड़ रहा है। अफ्रीकी देश केन्या में सरकार ने पैसे बचाने के लिए हजारों सिविल सर्विस वर्कर्स की सैलरी रोककर रखी है। राष्ट्रपति के चीफ इकनॉमिक एडवाइजर ने पिछले महीने ट्वीट किया, ‘सैलरी या डिफॉल्ट। चॉइस आपकी।’नमक, सुई, प्लेन के बाद अब iPhone भी बना रहा TATA, फोन कैसा होगा, आप समझ ही रहे होंगेकर्ज चुकाते-चुकाते निकला दमश्रीलंका एक साल पहले ही डिफॉल्ट कर चुका है। वहां पांच लाख इंडस्ट्रियल जॉब्स खत्म हो चुके हैं। महंगाई की दर 50 परसेंट को पार कर चुकी है और देश की आधी से अधिक आबादी गरीब हो चुकी है। जानकारों का कहना है कि अगर चीन ने गरीब देशों को दिए गए लोन पर अपना रुख नरम नहीं किया तो कई और देश डिफॉल्ट हो जाएंगे। इनमें जाम्बिया भी शामिल है। इस देश ने बांध, रेलवे और रोड बनाने के लिए चीन से जमकर कर्ज ले रखा है। इससे देश की इकॉनमी में तेजी आई लेकिन अब उसे लोग का इंटरेस्ट चुकाना भारी पड़ रहा है। देश में हेल्थकेयर, सोशल सर्विसेज और सब्सिडी के लिए पैसा नहीं है।पहले इस तरह के मामलों में अमेरिका, जापान और फ्रांस जैसे देश कर्ज माफ कर देते थे। लेकिन चीन के मामले में ऐसा नहीं है। वह एक-एक पाई वसूलने में यकीन रखता है। यही वजह है कि चीन का लोन चुकाते-चुकाते कई देश बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। चीन का तर्क है कि उसने मुसीबत के समय इन देशों की मदद की है। साथ ही उसका दावा है कि उसने 23 अफ्रीकी देशों का लोन माफ कर दिया है। हालांकि जानकारों का कहना है कि यह लोन दो दशक से भी अधिक पुराना था और यह उसके कुल लोन का महज पांच फीसदी है।