नई दिल्लीभारत के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (p chidambaram ) ने गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स (GST) के मसले पर भारत के मौजूदा वित्त मंत्री और पीएमओ को इंडियन एक्सप्रेस में लिखा अपना एक लेख पढ़ने की सलाह दी है। इस बारे में पी चिदंबरम ने सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर एक ट्वीट किया है। पी चिदंबरम (p chidambaram) ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे एक लेख में कहा है कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कोई जंगली जानवर नहीं है। GST देश में टैक्स का एक ढांचा तय करने के लिए लाया गया था। यह भी पढ़ें: इंधन के बढ़ते भाव की वजह से उद्योग धंधे को होने लगी है यह दिक्कतGST का उद्देश्य गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के अलग-अलग मॉडल हो सकते हैं, लेकिन इसका बेसिक प्रिंसिपल सेम है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) का उद्देश्य है कि अगर किसी सामान पर एक स्टेज पर टैक्स लगाया जाता है तो उसे अगले स्टेज पर चुकाए जाने वाले टैक्स के बदले समायोजित किया जाना चाहिए। जीएसटी (GST) का उद्देश्य है कि एक बार लगाए गए टैक्स पर दोबारा टैक्स नहीं लगना चाहिए।एक देश, एक टैक्स वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने लेख में कहा है कि मोड वेट (MODVAT) और सेनवैट (CENVAT) को एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स कम करने के लिए लाया गया था। इसने सही काम किया है। राज्यों ने थोड़ी मेहनत के बाद वैल्यू ऐडेड टैक्स (VAT) को अपनाकर सेल टैक्स को रिप्लेस कर दिया था। इसी तरह केंद्र सरकार द्वारा सेनवैट और राज्य सरकार द्वारा vat स्वतंत्र रूप से अपने-अपने फैसले के हिसाब से अपनाया गया था। अंतर राज्यीय बिक्री और अंतर राज्यीय सेवाओं के मामले में कई ऐसे मसले थे, जिनको हल नहीं किया जा सका था। इसके साथ ही सप्लाई चैन और सेवाओं के मामले में एक स्टेज और दूसरे स्टेज पर बिक्री के मामले पर भी टैक्स के मामले में लेकर असमानता थी। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए जीएसटी (GST) लाया गया था, जो सभी बिक्री और सभी सेवाओं पर एक तरह से लागू हो सके।बेहतर तालमेल की जरूरत सरकार और राज्य सरकार को एक टेक्स्ट के मसले पर एक प्लेटफार्म पर लाना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। ऐसे में इन मसलों का ध्यान रखकर दोनों सरकारों में बेहतर तालमेल बनाया जा सकता है।वित्त मंत्री पी चिदंबरम की सलाहयह किसी देश का संवैधानिक हक है कि वह चीजों पर किस तरह का टैक्स लगाता है भारतीय संविधान का संघीय ढांचा ऐसा है जिसमें केंद्र और राज्य सरकार और किसी प्रोडक्ट या सेवा पर टैक्स लगाने का अधिकार दिया गया है भारत के राज्यों को सामान की बिक्री पर टैक्स लगाने का अधिकार दिया गया है राज्यों की आमदनी का मुख्य स्रोत सामान की बिक्री पर टैक्स लगाना है बड़े राज्य और छोटे राज्य के बीच में भेदभाव करना सही नहीं है जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों का यह डर दूर करना जरूरी है कि उन्हें टैक्स के मामले में नुकसान उठाना पड़ सकता है इसका समाधान निकालने की कोशिश की जानी चाहिए राज्य और केंद्र सरकार अपने अपने अधिकारों का आपसी भरोसे और सम्मान के साथ उपयोग कर सकते हैं रूल ऑन वोटिंग जरूरी है लेकिन इसके साथ ज्यादा जरूरी यह है कि राज्य और केंद्र सरकार अपनी विचारधारा से परे हटकर आपसी सद्भाव से टैक्स संबंधी फैसले करेंयह भी पढ़ें: नए जॉब देने में देश के इन दो राज्यों ने मारी बाजी, जानिए क्या निकाला तरीकारेलवे ने शुरू की 20 जोड़ी से अधिक ट्रेन, जानिए इनके बारे में