नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) जेपी इफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के ग्राहकों का कई साल बाद आखिर अपना घर का सपना पूरा होने की उम्मीद जगी है। कर्ज बोझ में डूबी जेआईएल को उबारने के लिये मुंबई के सुरक्षा समूह की समाधान योजना को बुधवार को वित्तीय रिणदाताओं और घर खरीदारों की मंजूरी मिल गई। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी और सुरक्षा समूह जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण की दौड़ में शामिल थी। दोनों के बीच जेआईएल के अधिग्रहण को लेकर कड़ा मुकाबला रहा। दोनों कंपनियों के अधिग्रहण प्रस्ताव को लेकर दस दिन तक चली मतदान प्रक्रिया बुधवार दोपहर समाप्त हुई। इसमें सुरक्षा समूह को जहां 98.66 प्रतिशत मत वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी की समाधान योजना के पक्ष में 98.54 प्रतिशत मत मिले। वोट प्रक्रिया को जानने वालों के अनुसार बैंकों/वित्तीय संथानों और वित्तीय ऋणदाता का दर्जा प्राप्त पैसा देकर मकान बुक कराने वाले दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता के तहत ऋण समाधान प्रक्रिया के तरह रखी गयी जेआईएल के अधिग्रहण के लिये बोली सम्पन्न कराने में बार बार पेंच फसते रहे और यह इसका चौथा दौर था। राष्ट्रीय कंपनी विधि प्राधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष जेआईएल के दिवालियापन के समाधान का मामला अगस्त 2017 से चल रहा है। जेआईएल के अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) अनुज जैन ने पीटीआई- भाषा से कहा, ‘‘सुरक्षा समूह 98.66 प्रतिशत मतों के समर्थन के साथ बोली में सफल हुई है। उसे एनबीसीसी के मुकाबले 0.12 प्रतिशत अधिक मत मिले।’’ जेआईएल के आईआरपी ने बाद में शेयर बाजारों को भेजी गई सूचना के जरिये मतों के परिणाम की जानकारी दी। मतदान परिणाम के मुताबिक सुरक्षा समूह को 12 बैंकों को मिले कुल 43.25 प्रतिशत मताधिकार में से 41.91 प्रतिशत मत मिले। वहीं एनबीसीसी को उनसे 41.79 प्रतिशत मत मिले। वित्तीय संस्थानों का जेआईएल पर कुल 9,783 करोड़ रुपये के बकाया लेने का दावा है। आईसीआईसीआई बैंक (1.34 प्रतिशत मताधिकार) को छोड़कर अन्य सभी बैंकों ने सुरक्षा समूह के पक्ष में मतदान किया। आईसीआईसीआई बैंक और श्रेयी इक्विपमेंट फाइनेंस लिमिटेड (0.12 प्रतिशत मतदान हिस्सा) दोनों ने एनबीसीसी की बोली के खिलाफ मत दिया। सुरक्षा समूह और एनबीसीसी दोनों को घर खरीदारों की ओर से 56.62 प्रतिशत और सावधि जमा धारकों की ओर से 0.13 प्रतिशत पूरे वोट मिले। बहरहाल, जेआईएल की समस्या के सफल समाधान से कंपनी के 20,000 से अधिक घर खरीदारों को राहत मिलेगी। जेआईएल की उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कई आवासीय परियोजनायें हैं जो कि अटकी पड़ी हैं। जेआईएल की रिणदाता समिति (सीओसी) में 12 बैंकों और 20 हजार से अधिक घर खरीदारों को मतदान का अधिकार है। समिति में घर खरीदारों को 56.63 प्रतिशत और रिणदाताओं को 43.25 प्रतिशत मतदान का अधिकार है। सावधि जमा धारकों को 0.13 प्रतिशत मताधिकार मिला हुआ है। सीओसी द्वारा सुरक्षा समूह की पेशकश को मंजूरी दिये जाने के बाद प्रस्ताव को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से मंजूरी लेनी होगी। सुरक्षा समूह ने अपने ताजा प्रस्ताव में बैंकों को 2,500 एकड़ जमीन देने की पेशकश की है इसके साथ ही गैर- परिवर्तनीय डिबेंचर के जरिये 1,300 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया है। कंपनी ने लंबित मकानों का निर्माण कार्य अगले 42 माह में पूरा करने का वादा किया है। जेआईएल की सीओसी ने 10 जून को लक्षद्वीप इन्वेस्टमेंट्स एण्ड फाइनेंस प्रा. लि. (सुरक्षा समूह) के साथ सुरक्षा रियल्टी लिमिटेड और एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड की बोली पर मतदान कराने का फैसला किया। ई-मतदान की प्रक्रिया 14 जून को शुरू हुई। इस बीच सुरक्षा समूह के प्रवक्ता ने उचित ढंग से चलाई गई पूरी प्रक्रिया को लेकर आईआरपी और सीओसी का धन्यवाद किया है। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम घर खरीदारों के प्रति प्रतिबद्ध हैं और उन्हें आश्वास्त करते हैं कि हमारी समाधान योजना के मुताबिक सभी चरणों में तेजी से निर्माण कार्य किया जायेगा ताकि वादे के मुताबिक आवास की सुपुर्दगी हो सके।’’ जेआईएल अगस्त 2017 को दिवाला प्रक्रिया के तहत आ गई थी। आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व में बैंक समूह ने एनसीएलटी में आवेदन किया था। दिवाला प्रक्रिया के पहले दौर में सुरक्षा समूह की कंपनी लक्षद्वीप की 7,350 करोड़ रुपये की बोली को रिणदाताओं ने खारिज कर दिया था। इसके बाद मई- जून 2019 में हुये दूसरे दौर में सुरक्षा रियल्टी और एनबीसीसी की बोलियों को भी सीओसी ने खारिज कर दिया। यह मामला पहले राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) और उसके बाद उच्चतम न्यायालय में पहुंचा। नवंबर 2019 में उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया कि जेआईएल के अधिग्रहण के लिये केवल एनबीसीसी और सुरक्षा समूह से ही बोलियां आमंत्रित की जायें। रिणदाताओं की समिति ने इसके बाद दिसंबर 2019 में तीसरे दौर की बोली में 97.36 प्रतिशत मतों के साथ एनबीसीसी की समाधान योजना को मंजूरी दे दी। मार्च 2020 में एनबीसीसी को एनसीएलटी से भी जेआईएल के अधिग्रहण की मंजूरी मिल गई। लेकिन एनसीएलटी के आदेश को एनसीएलएटी में चुनौती दी गई, मामला बाद में एक बार फिर उच्चतम न्यायालय में पहुंचा। उच्चतम न्यायालय में इस साल 24 मार्च को केवल एनबीसीसी और सुरक्षा से नई बोलियां आमंत्रित करने का आदेश दिया। इससे पहले 20 मई से लेकर 24 मई के बीच बोलियों को लेकर आरोप प्रत्यारोप के दौर चले। अंतत: 27- 28 मई को हुई मतदान प्रक्रिया के जरिये यह तय किया गया कि एनबीसीसी और सुरक्षा समूह को संशोधित और अंतिम बोली सौंपने के लिये अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिये। इसके बाद 10 जून को सीओसी ने एनबीसीसी और सुरक्षा समूह की बोलियों को एक साथ मतदान के लिये रखने का फैसला किया। इसी मतदान का फैसला आज सामने आया है।