नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने ट्रकों पर सड़क पर यातायात नियमों के प्रवपर्तन के लिए एक सूचना प्रौद्योगिकी आधारित उपयोगी समाधान जारी किया है। इस ऐप से प्रवर्तन अधिकारियों को खुद कम संख्या में वाणिज्यिक वाहनों की जांच की जरूरत पड़ेगी । इससे ई-चालान जारी कर नकद चालान की संख्या कम करने और मानवीय हस्तक्षेप कम करने में मदद मिलेगी। इससे राजस्व संग्रह भी बढ़ेगा। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि औसत रूप से भारत में एक ट्रक एक साल में 50,000 से 60,000 किलोमीटर की दूरी तय करता है जबकि अमेरिका जैसे विकसित देशों में यह 3,00,000 किलोमीटर है। देरी की मुख्य वजहों में से एक सड़कों पर वाहनों की अचानक से होने वाली जांच और उसके साथ की जाने वाली दस्तावेजों के सत्यापन की प्रक्रिया है। ऐसा कहा जाता है कि जहां जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) से स्थिति को सुधारने में मदद मिली है भारत को विकसित देशों के स्तर तक पहुंचने के लिए अब भी लंबा सफर तय करना है।विभिन्न नियमों और अनुपालनों के संभावित उल्लंघनों के 60 से अधिक अलग-अलग मामले हैं जिनपर प्रवर्तन एजेंसियों के ध्यान देने की जरूरत है। इस प्रवर्तन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों के विभागों – वाणिज्यिक कर, परिवहन, पुलिस और दूसरी एजेंसियों की है। सड़क परिवहन के लॉजिस्टिक की लागत कम करने की रणनीति के तहत लॉजिस्टिक संभाग ने ट्रकों पर मार्ग के डिजिटल प्रवर्तन के लिए एक जोखिम आधारित दृष्टिकोण तथा तकनीक की मदद से प्रवर्तन तंत्र को चलाने के लिए एक सूचना प्रौद्योगिकी समाधान भी विकास किया है। संभाग ने कहा कि राज्यों के अधिकारियों के साथ बुधवार को बैठक में इस समाधान को प्रस्तुत किया गया।