नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) वाणिज्य मंत्रालय ने मलेशिया से खास तरह के एल्युमिनियम तारों के आयात पर पांच साल के लिए प्रतिपूर्ति शुल्क लगाने की सिफारिश की है जिसका उद्देश्य घरेलू निर्माताओं को उन आयातों से संरक्षण देना है जिनपर मलेशिया सब्सिडी देता है। मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने एक जांच के बाद यह सिफारिशें कीं। जांच में कहा गया कि सब्सिडी को संतुलित करने के लिए निर्णायक प्रतिपूर्ति शुल्क लगाने की जरूरत है। डीजीटीआर ने एक अधिसूचना में कहा, “प्राधिकरण पांच साल के लिए निर्णायक प्रतिकारी शुल्क लगाने की सिफारिश करता है।” इसमें कहा गया कि प्राधिकरण इन आयातों पर शुल्क लगाने की सिफारिश देना जरूरी समझता है। शुल्क लगाने पर अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय लेगा। निदेशालय ने वेदांता लिमिटेड और भारत ऐल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड की शिकायतों के बाद जांच की। दोनों कंपनियों ने सब्सिडी रोधी जांच शुरू करने के लिए घरेलू उत्पादकों की ओर से अपील दायर की थी। डीजीटीआर इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मलेशिया से सब्सिडी वाले उत्पादों की वजह से घरेलू उद्योगों को नुकसान हुआ है। उसने 6.87 प्रतिशत और 16.5 प्रतिशत शुल्क लगाने की सिफारिश की। प्रतिपूर्ति शुल्क देश निर्दिष्ट शुल्क है जो निर्यातक देशों की सरकारों द्वारा दी जाने वाली अनुचित सब्सिडी के खिलाफ घरेलू उद्योग के संरक्षण के लिए लगाया जाता है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के वैश्विक व्यापार नियमों के तहत अगर व्यापारिक भागीदार देश की सरकार किसी उत्पाद पर सब्सिडी देती है तो आयात करने वाला सदस्य देश सब्सिडी को संतुलित करने के लिए प्रतिपूर्ति शुल्क लगा सकता है।