नेचुरल डायमंड और लैब ग्रोन डायमंड में क्या अंतर है

​नेचुरल वर्सेज लैब ग्रोन डायमंडकुदरती हीरे धरती के गर्भ में लाखों साल की प्रोसेस में बनते हैं। इन्हें माइनिंग के जरिए निकाला जाता है। वहीं लैब ग्रोन डायमंड को प्रयोगशालाओं में बनाया जाता है। देखने में ये भी असली डायमंड्स जैसे दिखते हैं। दोनों का केमिकल कंपोजिशन भी एक ही जैसा होता है। लेकिन लैब में हीरे एक से चार हफ्तों में तैयार हो जाते हैं। इन्हें भी सर्टिफिकेट के साथ बेचा जाता है।​कीमत में अंतरएक कैरेट कुदरती हीरा जहां 4 लाख का मिलेगा। वहीं, लैब में बना इतने ही कैरेट का डायमंड आपको एक से 1.50 लाख रुपये में मिल जाएगा। सस्ता होने के कारण आज लैब ग्रोन डायमंड्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। लैब में बना हीरा भी सेम कलर, सेम कटिंग, सेम डिजाइन और सर्टिफिकेट के साथ मिलेगा।​लैब में कैसे बनता है हीराकुदरती हीरा कार्बन से बना होता है। यह जमीन के अंदर भारी दबाव और बहुत ऊंचे तापमान में लाखों वर्षों में तैयार होता है। लैब में हाई प्रेशर और हाई टेंप्रेचर के साथ आर्टिफिशल हीरा बनाया जाता है। इसके लिए कार्बन सीड की जरूरत होती है। उसे माइक्रोवेव चैंबर में रखकर डिवेलप किया जाता है। तेज तापमान में गरम करके उससे चमकने वाली प्लाज़्मा बॉल बनाई जाती है। इस प्रोसेस में ऐसे कण बनते हैं जो कुछ हफ्तों बाद डायमंड में बदल जाते हैं। फिर उनकी कुदरती हीरों जैसे कटिंग और पॉलिशिंग होती है।​रीसेल वैल्यूविदेशों में लैब में बने डायमंड की रीसेल वैल्यू 60-70% तक भी है, क्योंकि वहां डिमांड ज्यादा है। जानकारों का कहना है कि भारत में भी देश में भी डिमांड आएगी तो इसका बड़ा मार्केट होगा और रीसेल वैल्यू बढ़ेगी। बाजार बिक रहे डायमंड में लैब ग्रोन डायमंड का शेयर 30 पर्सेंट के आसपास है।​कैसे करें पहचान?कुदरती और लैब में बने डायमंड में फर्क करना मुश्किल है। दोनों में अंतर यही है कि लैब ग्रोन डायमंड में नाइट्रोजन नहीं है, जबकि नेचरल डायमंड में नाइट्रोजन होता है। लैब ग्रोन डायमंड खरीदने के वक्त GIA का सर्टिफिकेट लेना चाहिए, ताकि आपको क्वॉलिटी और रीसेल वैल्यू मिल सके।