नयी दिल्ली, 26 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एस्सार स्टील और जिंदल स्टील एंड पावर समेत 61 लोह अयस्क निर्यातक कंपनियों द्वारा 2015 से चीन को लौह अयस्क के निर्यात में कथित शुल्क चोरी की जांच से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र से दो सप्ताह में जवाब देने को कहा। याचिका में कथित कर चोरी मामले में सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की जांच का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन और न्यायाधीश सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से मामले में जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा। जनहित याचिका अधिवक्ता एम एल शर्मा ने व्यक्तिगत आधार पर दायर की है। पीठ ने कहा, ‘‘अगर यह सही है तो काफी गंभीर मामला है।’’शुरू में पीठ ने वकील से उन कंपनियों की स्पष्ट भूमिका के साथ नई याचिका दायर करने को कहा, जिसे जनहित याचिका में पक्ष बनाया गया है। शर्मा ने कहा कि तत्कालीन पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने उनकी दलीलों पर विचार किया था और इस साल 15 जनवरी को नोटिस जारी किया था। इससे पहले, उन्होंने कहा था कि लौह अयस्क के निर्यात के लिये गलत शुल्क कोड की घोषणा कर निर्यात शुल्क की कथित चारी को लेकर कंपनियों के खिलाफ विदेश व्यापार (विकास एवं नियमन) कानून के तहत अभियोजन चलाया जाना चाहिए। पीठ के समक्ष कहा गया कि लौह अयस्क ‘चीन को तस्करी’ की जा रही है क्योंकि ये कंपनियां 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क दिये बिना उसे बाहर भेज रही हैं। याचिका में कहा गया है कि वाणिज्य और वित्त मंत्रालय निर्यात नीतियों का नियमन और नियंत्रण करते हैं। साथ ही यह तय करते हैं कि किस एचएस (हार्मोनाइज्ड सिस्टम) कोड यानी निर्यात संख्या कोड के तहत प्रत्येक वस्तु का निर्यात किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि सरकार ने शुल्क मुक्त एचएस कोर्ड 26011210 के तहत निम्न स्तर के लौह अयस्क के उपयोग और उनके निर्यात को लेकर केआईओसीएल नाम से कंपनी गठित की है। यह सुविधा केवल केआईओसीएल के लिये है। याचिका में कहा गया है कि विदेश व्यापार (विकास) एवं नियमन कानून, 1992 के तहत अन्य प्रकार के सभी लौह अयस्क का निर्यात 30 प्रतिशत की दर से निर्यात शुल्क के भुगतान पर निर्भर है। इसमें कहा गया है कि कंपनियों को केआईओसीएल के लिये निर्धारित एचएस कोड का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हुये लौह अयस्क निर्यात की अनुमति दी गई जिसकी वजह से इन कंपनियों ने सरकार को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। न्यायालय ने केंद्रीय मंत्रालयों और सीबीआई के अलावा ब्रह्माणी रिवर रेलेट्स लि., रश्मि मेटालिक्स लि., जिंदल शॉ लि., एस्सार पावर (ओड़िशा) लि. और जेएसडब्ल्यू स्टील लि. समेत 61 कंपनियों को नोटिस जारी किये।