कोलकाता, एक जुलाई (भाषा) पंजाब और हरियाणा जैसे खाद्यान्न उत्पादक राज्यों और अनाज खरीद एजेंसियों ने कपड़ा मंत्रालय के तहत जूट पर स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) की बैठक में पश्चिम बंगाल की जूट मिलों द्वारा जूट की बोरियों की आपूर्ति में कमी का मुद्दा उठाया। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के तहत काम करने वाले जूट की स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) की बुधवार को बैठक हुई जिसमें वर्ष 2021-22 में जूट की बोरियों में वस्तुओं की पैकेजिंग के लिए आपत्तियों की जांच, विचार और सिफारिश की गई। इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राघव गुप्ता ने कहा, ‘‘हमने बैठक के पहले चरण में भाग लिया और समिति के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी। हमने आश्वासन दिया कि आगामी भारी फसल उत्पादन के साथ, जूट मिलें सरकार को 34 लाख गांठ बोरी की आपूर्ति कर सकेंगी।’’ उन्होंने कहा कि उद्योग को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा, उन्हें मिल मालिकों ने सामने रखा। गुप्ता ने कहा कि वर्ष 2020-21 के सत्र में, जूट उद्योग लॉकडाउन प्रेरित व्यवधानों के जूट के बोरी की पूरी आपूर्ति नहीं कर सका, और चक्रवात अम्फान के कारण भारी फसल का नुकसान हुआ, जिससे कच्चे जूट की कीमत में भारी वृद्धि हुई। देश के लगभग 80 प्रतिशत पटसन के बोरे पश्चिम बंगाल की मिलों से प्राप्त होते हैं। सूत्रों ने कहा, ‘‘कई राज्य कम आपूर्ति होने से नाखुश थे। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग का मानना है कि जेपीएम (जूट पैकेजिंग सामग्री) अधिनियम के जूट की बोरी के प्रयोग की अनिवार्यता संबंधी मौजूदा प्रावधानों में ढील दी जानी चाहिए।’’ जूट पैकेजिंग सामग्री (जेपीएम) अधिनियम कहता है कि 100 प्रतिशत खाद्यान्न की पैकेजिंग जूट की बोरियों में होनी चाहिये। सरकार ने 2021-22 के रबी सीजन के लिए उच्च घनत्व वाले पॉलीथीन/पॉलीप्रोपाइलीन (एचडीपीई/पीपी) बैग के 7.7 लाख गांठ के उपयोग के लिए पहले ही छूट दे दी है। आईजेएमए के सूत्रों ने आशंका जताई कि सरकार प्लास्टिक उद्योग के पक्ष में जेपीएम अधिनियम को स्थायी रूप से कमजोर करने पर विचार कर सकती है, जब राज्य में बंपर फसलों की उम्मीद है। जूट मिल के सूत्रों ने कहा, ‘‘अगर (जेपीएम अधिनियम को स्थायी रूप से) कमजोर किया जाता है, तो लाखों किसान लाभकारी मूल्य प्राप्त करने में विफल हो जाएंगे और जूट मिलों को बंद होने की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। राज्य में लगभग 70 मिलों में कार्यरत लगभग 2.5 लाख लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी।’’ सरकार ने वर्ष 2020-21 सत्र तक खाद्यान्न की पैकेजिंग के लिए 100 प्रतिशत और जूट की बोरियों में चीनी के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रखा है। सूत्रों ने कहा कि उद्योग सचिव वंदना यादव ने स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) की बैठक में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व किया।