स्टीव जॉब्स, ऐपलस्टीव जॉब्स दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी ऐपल का पर्याय माने जाते थे। ऐपल की स्थापना उन्होंने ही की थी लेकिन कंपनी के बोर्ड ने 1985 में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। हालांकि ऐपल ने एक दशक बाद जब जॉब्स की कंपनी नेक्स्ट का अधिग्रहण किया तो जॉब्स दोबारा ऐपल में आ गए। इसके बाद उन्होंने कंपनी को बुलंदियों पर पहुंचाया। आज ऐपल दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी है।जैक डोर्सी, ट्विटरजैक डोर्सी ने साल 2006 में कुछ दोस्तों के साथ मिलकर ट्विटर की स्थापना की थी। शुरुआती दिनों में डोर्सी कंपनी के सीईओ थे लेकिन उनके मैनेजमेंट स्टाइल, बोर्ड मेंबर्स के साथ संवाद में कमी और कंपनी की समस्याओं को सुलझाने में नाकामी के कारण 2008 में उन्हें निकाल दिया गया। 2015 में जैक डोर्सी ने फिर कंपनी में वापसी की। साल 2022 में उन्होंने इसे एलन मस्क को बेच दिया।जैक डोर्सी, ट्विटरजैक डोर्सी ने साल 2006 में कुछ दोस्तों के साथ मिलकर ट्विटर की स्थापना की थी। शुरुआती दिनों में डोर्सी कंपनी के सीईओ थे लेकिन उनके मैनेजमेंट स्टाइल, बोर्ड मेंबर्स के साथ संवाद में कमी और कंपनी की समस्याओं को सुलझाने में नाकामी के कारण 2008 में उन्हें निकाल दिया गया। 2015 में जैक डोर्सी ने फिर कंपनी में वापसी की। साल 2022 में उन्होंने इसे एलन मस्क को बेच दिया।ट्रैविस कलानिक, उबरट्रैविस कलानिक ने 2009 में टैक्सी एग्रीगेटर उबर की स्थापना की थी। वह 2009 से 2017 तक कंपनी के सीईओ रहे। कई तरह के विवादों के कारण कलानिक को 2017 में इस्तीफा देना पड़ा था। दिसंबर 2016 में बताया गया कि कलानिक राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के इकनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल को जॉइन करने वाले हैं। इस न्यूज के कारण उबर विवादों में आ गई और कलानिक को जाना पड़ा।मार्क एबरहार्ड, टेस्लाकई लोगों को लगता है कि इलेक्ट्रिक कार टेस्ला एलन मस्क के दिमाग की उपज है। लेकिन इसके असली फाउंडर मार्टिन एबरहार्ड हैं। उन्होंने 2003 में टेस्ला की स्थापना की थी और 2007 तक कंपनी के सीईओ रहे। कंपनी के चेयरमैन मस्क ने 2007 में उन्हें निकाल दिया था। आज यह दुनिया की सबसे वैल्यूएबल ऑटो कंपनी है।अशनीर ग्रोवर, भारत पेभारत पे के फाउंडर अशनीर ग्रोवर को भी कुछ साल पहले निकाल दिया गया था। अशनीर ग्रोवर का एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ था। इसमें वह कोटक बैंक के एक स्टाफ को धमका रहे थे। इसके बाद अशनीर ग्रोवर की भारत पे से विदाई हुई थी। साथ ही उन पर कंपनी में धोखाधड़ी और पैसे की हेराफेरी का आरोप था। इस बारे में एक विसलब्लोअर ने मेल लिखा था। पर्याप्त सबूत और दस्तावेज़ के साथ भेजे गए ईमेल पर कार्रवाई करते हुए ग्रोवर को भारत पे से हटाया गया था।राहुल यादव, हाउसिंग.कॉमराहुल यादव हाउसिंग.कॉम के को-फाउंडर थे। अलवर के रहने वाले राहुल जब IIT-बॉम्बे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्होंने पढाई छोड़ कर हाउसिंग.कॉम की स्थापना की थी। राहुल तब खूब चर्चा में आए जब उन्होंने अपने 200 करोड़ रुपए के शेयर अपने कर्मचारियों में बांटने की घोषणा की थी। लेकिन जून 2015 में कंपनी के बोर्ड ने उन्हें निकाल दिया। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि राहुल यादव का अन्य सह-संस्थापकों, निवेशकों और मीडिया के साथ व्यवहार ठीक नहीं था।