नई दिल्ली: दुनिया के कई देशों में रियल एस्टेट सेक्टर संकट की स्थिति से गुजर रहा है। कर्ज के भुगतान में डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ब्लूमबर्ग के एक एनालिसिस के मुताबिक दुनियाभर की कंपनियों पर 500 अरब डॉलर के अधिक का भारी-भरकम कर्ज है। इसमें रियल एस्टेट में सबसे ज्यादा 168.3 अरब डॉलर का स्ट्रेस्ड लोन है। इससे कई दशकों के नुकसान से उबर रहे क्रेडिट मार्केट्स में एक बार फिर चिंता के बादल उमड़ने लगे हैं। दुनियाभर में जब ब्याज दरें कम थीं तो कंपनियों ने जमकर कर्ज लिया। अब उनके लिए इसे चुकाना मुश्किल पड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने हाल में ब्याज दरों में भारी बढ़ोतरी की है। महंगाई को देखते हुए हाल फिलहाल इसमें कटौती की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।मूडीज के मुताबिक दुनिया के कई देशों में बैंकों ने रियल एस्टेट सेक्टर को जमकर कर्ज दिया है। इसमें सिंगापुर सबसे आगे है। इस देश में बैंकों के कुल कर्ज में रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन कंपनियों की हिस्सेदारी 25 परसेंट से अधिक है। इसी तरह हॉन्ग कॉन्ग के बैंकों के कुल कर्ज में रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन कंपनियों की हिस्सेदारी 20 परसेंट से अधिक है। जापान में यह दस परसेंट से अधिक है। इसी तरह दक्षिण कोरिया और वियतनाम में यह पांच फीसदी से अधिक है। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, ताइवान, थाईलैंड और चीन का नंबर है। चीन में हाल में कई बड़ी रियल एस्टेट कंपनियां बर्बाद हो गई हैं। भारत में भी कई कंस्ट्रक्शन कंपनियां मुश्किल दौर से गुजर रही हैं और उनके कई प्रोजेक्ट्स अटके पड़े हैं।भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 15 महीने के टॉप पर, 'खैरात' से पाकिस्तान की झोली भी भरीआरबीआई ने बचा लियाअगर भारत की बात करें तो भारत की बात करें तो पिछले 10 साल में भारतीय बैंकों को कुल एक्सपोजर में रियल एस्टेट का हिस्सा दो से 2.9 फीसदी रहा है। रियल एस्टेट में सीमित एक्सपोजर होने के कारण भारतीय बैंकों पर सबसे कम खतरा है। इसकी वजह यह है कि आरबीआई ने इस पर सख्त नियम बनाए हैं। इन नियमों के कारण बैंक रियल एस्टेट सेक्टर और कंस्ट्रक्शन कंपनियों को बेतहाशा लोन नहीं दे सकते हैं। इसी वजह से इनमें बैंकों का एक्सपोजर कम है और रियल एस्टेट सेक्टर के संकट के कारण उनपर कम खतरा है।