नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि भारत 2023 में जी-20 की अध्यक्षता संभालने को लेकर अंतरराष्ट्रीय नीति समन्वय के मामले में कमियों को चिन्हित कर रहा है। इसमें वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफटीएफ) और मुद्रा कोष जैसे संस्थानों की दक्षता को सुदृढ़ करना शामिल है। इक्रियर (इंडिया काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशंस) के 13वें सालाना अंतररष्ट्रीय जी-20 सम्मेलन में सीतारमण ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता भारत को टिकाऊ भविष्य, समावेश, नवोन्मेष और न्याय के संदर्भ में अपने दृष्टिकोण को रखने को लेकर एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि भारत की 2023 में अध्यक्षता का रास्ता दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण है। ‘‘हम अंतरराष्ट्रीय नीति समन्वय के मामले में कमियों को चिन्हित कर रहे हैं।’’ सीतरमण ने कहा, ‘‘यह व्यवस्था को मजबूत करने या बहुप्रतीक्षित सुधारों को आगे बढ़ाने अथवा नये प्रभावी वैश्विक संस्थानों के गठन या फिर एफएटीएफ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे मौजूदा संस्थानों की जिम्मेदारी, पहुंच और प्रभावित को मजबूत करने का हो सकता है।’’ उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश 2025 तक जी-20 की अध्यक्षता संभालेंगे। इसकी शुरुआत 2022 में इंडानेशिया की अध्यक्षता के साथ होगी। अमेरिका में बांड खरीद कार्यक्रम में कमी से जुड़े एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि भारत ने पिछली बार के कदम से सीख ली है। इसके कारण वह पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हुआ था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई के साथ मिलकर हम निश्चित रूप से इस पर नजर रखेंगे। ऋण के मामले में स्थिरता एक ऐसा मुद्दा है जिस पर मुझे भरोसा है कि हर वैश्विक मंच इसका समाधान निकालना चाहेगा और बातचीत करेगा।’’सीतारमण का पिछली बार के कदम से सीख लेने से आशय अमेरिका में वर्ष 2013 में उदार मौद्रिक नीति में बदलाव की घोषणा के बाद बांड प्रतिफल में वृद्धि होने से है। इसके कारण उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति बढ़ी और प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।