महंगाई एक बार फिर वापसी कर सकती है

नई दिल्ली: महंगाई के मोर्चे पर लगातार राहत की खबरें आ रही हैं। मई में रिटेल महंगाई घटकर 4.25 फीसदी आ गई है। इसी तरह से मई में थोक महंगाई दर भी कम होकर -3.48 फीसदी के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। इंडस्ट्री और मार्केट के दिग्गजों को उम्मीद बंधी है कि आगे भी महंगाई का रुख नरम रहेगा और लोन के सस्ता होने का दौर शुरू होगा। जून की मॉनिटरी पॉलिसी में RBI ने लगातार दूसरी बार नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया। माना जा रहा है कि रीपो रेट में जल्दी ही कटौती की घोषणा हो सकती है। मगर RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अब भी बरकरार है। जानते हैं कि आखिर आरबीआई की क्या आशंकाएं हैं?चिंता बरकरारजून की मॉनिटरी पॉलिसी में RBI ने इसी उम्मीद को बरकरार रखते हुए लगातार दूसरी बार नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया। मगर, अपनी कमेंट्री में और बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस में RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई को लेकर अहम बात कही। उन्होंने कहा कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अब भी बरकरार है। उन्होंने महंगाई पर अर्जुन की नजर बनाए रखने की जरूरत को दोहराया। महंगाई अभी भी 4% के टारगेट से ऊपर बनी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि यात्रा का अंतिम चरण हमेशा सबसे कठिन होता है। अब अहम सवाल है कि क्या महंगाई फिर बढ़ सकती है?Wholesale Inflation in May : 3 साल के निचले स्तर पर थोक महंगाई, मई में -3.48% रही, जानिए क्या-क्या हुआ सस्ताक्या है कारणइंडियन चैंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के चेयरमैन डॉ. एम. जे. खान का कहना है कि RBI को महंगाई के बढ़ने के पीछे आशंका अल नीनो को लेकर है। अल नीनो पृथ्वी को गरम करने वाली मौसमी घटना है। इससे बारिश कम होगी, सूखा भी आ सकता है। मौसम में बदलाव होगा। ऐसे में खरीफ फसलों का उत्पादन कम होने की आशंका है। चावल, चीनी और दालों के उत्पादन पर भारी असर पड़ सकता है।इंडियन शुगर मिल असोसिएशन (ISMA) ने पहले ही चीनी के उत्पादन का अनुमान घटा दिया है। ISMA ने 2022-23 के लिए चीनी उत्पादन का अनुमान 3.40 करोड़ टन से घटाकर 3.28 करोड़ टन किया है। वैश्विक स्तर पर चीनी का उत्पादन कम होने से इसका आयात भी महंगा हो सकता है। ऐसे में अगर देश में चीनी की डिमांड बढ़ी और सप्लाई कम हुई तो चीनी के दामों में तेजी आ सकती है। चावल को लेकर स्थिति भी ठीक नहीं है। गेहूं के दामों में तेजी का माहौल है। सबसे अहम बात यह है कि अगर खरीफ फसलों की बुआई कम हुई तो अल नीनो का असर देखने को मिला तो खाद्य चीजों के थोक और रिटेल दामों में फिर तेजी आ सकती है। महंगाई दर को मापने वाले बास्केट में 40 फीसदी हिस्सेदारी खाने वाली चीजों की है। अगर इन चीजों के दाम बढ़े तो फिर महंगाई की दरें भी बढ़ेंगी।महंगाई पर मंडराया ‘अल नीनो’ का खतरा, चावल, चीनी, दाल, सब्जी के बढ़ते दाम ने बढ़ाई टेंशनकिस बात का खतराकमोडिटी मार्केट के एक्सपर्ट एस. के. सुरेश का कहना है कि अल नीनो का असर खरीफ फसलों पर बुरी तरह से पड़ सकता है। अगर अल नीनो के असर से बारिश कम हुई और जमीन गरम हुई तो चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन के साथ लौकी, भिंडी और ग्वार के कली के साथ प्याज का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। गन्ना कम हुआ तो चीनी का उत्पादन तो वैसे ही गिर जाएगा। फिर आगे फेस्टिव सीजन आने वाला है। खाद्य चीजों की डिमांड बढ़ेगी। घरेलू डिमांड बढ़ी, उत्पादन घटा, साथ ही वैश्विक स्तर पर आयात महंगा हुआ तो सरकार के पास ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं बचेगा। यही कारण है कि RBI रेट कट को लेकर काफी संभलकर आगे बढ़ रहा है। उसे महंगाई के बढ़ने की आशंका है।सरकार की मजबूरीमौजूदा समय में सरकार गेहूं, चावल और दालों के दाम कम करने के लिए मोर्चे पर जूझ रही है। इनकी सप्लाई मार्केट में बढ़ाने के लिए उसने स्टॉक लिमिट जैसे उपाय किए हैं। मगर चुनौतियां कम नहीं हो रही है। गेहूं और चावल के दाम में 5 से 6 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। अरहर और उड़द के दालों में 8 फीसदी की तेजी देखी जा रही है। चावल की औसत कीमत 10 जून को 40 रुपये थी, जो पिछले साल की तुलना में 8 फीसदी ज्यादा है। इस वक्त सरकारी स्टोरेज में करीब 80 मीट्रिक टन चावल है। इससे उससे राशन की दुकानों को भी सप्लाई करना है।महंगाई 25 महीने में सबसे कम, जानिए आपको क्यों खुश होना चाहिएस्थिति से निपटने के लिए सरकार ने चावल और गेहूं को खुले मार्केट में बेचने का फैसला किया है। मगर, इससे महंगाई किस तरह और कितनी रुकेगी, यह देखने वाली बात है। एक्सपर्ट का मानना है कि RBI की यह बात सही है कि अभी महंगाई बढ़ने का खतरा है। सरकारी प्रयास और उपाय महंगाई को बढ़ने से कितना रोक पाते हैं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।