हाइलाइट्स:आईएमएफ (IMF) का कहना है कि फिलहाल कीमतों में तेजी जारी रहेगी।वैश्विक बाजार में खाद्यान्न की ऊंची कीमतों का असर घरेलू बाजार में भी दिख रहा है।दुकानदार (retailer) बढ़ी हुई कीमतों का बोझ अब ग्राहकों पर डाल रहे हैं। वाशिंगटनदुनिया में खाद्यान्न (Food) की कीमतों में उछाल आया है। इनकी कीमतें कई साल की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। इसकी वजह कोरोना (corona) की महामारी है। इससे सप्लाई चेन में बाधा आई है। परिवहन की लागत भी बढ़ गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) ने यह बात कही है।आईएमएफ के क्रिस्टियन बोगमेंस, आंद्रेई पेसाकाटोरी और इरविन प्रिफ्टी ने नए ब्लॉग में लिखा है कि फूड (Food) की कीमतें और बढ़ने के आसार हैं। 2020 के मुकाबले 2021 में कीमतें 25 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। इस साल के अंत में कीमतों में स्थिरता आने का अनुमान है। Petrol Diesel Price: लगातार दूसरे दिन 35 पैसे महंगा हुआ पेट्रोल, जानें अपने शहर के दामवैश्विक बाजार में खाद्यान्न की कीमतों में आए उछाल का असर घरेलू बाजार (Domestic Market) में भी देखने को मिल रहा है। दुकानदार बढ़ती कीमतों का बोझ खुद उठान में सक्षम नहीं हैं। इसलिए वे इसका बोझ ग्राहकों पर डाल रहे हैं। भारत में भी खाने-पीने की चीजों की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। खाद्य तेलों की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थीं। हालांकि, अब उनमें थोड़ी नरमी आई है।Amazon: फ्यूचर ग्रुप संबंधी विवाद में 2 जुलाई से SAIC में होगी सुनवाई, RIL को क्या है उम्मीदफूड की बढ़ती कीमतों का असर मुद्रास्फीति (Inflation) की दर पर भी पड़ा है। महंगाई दर में उछाल देखने को मिला है। आईएमएफ के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वैश्विक बाजार में खाद्यान्न की ऊंची कीमतों से विकसित देशों पर ज्यादा दबाव बनता है। इसकी वजह यह है कि आयात के लिए उन्हें डॉलर में भुगतान करना पड़ता है। अगर डॉलर के मुकाबले उनकी मुद्रा कमजोर पड़ती है तो उनके लिए आयात की लागत बढ़ जाती है। भारत दलहन और खाद्य तेलों का काफी आयात करता है।महंगाई है तो खाना-पीना छोड़ दें कांग्रेसी, बीजेपी नेता के विवादित बयान पर गरमाई राजनीति