नई दिल्ली: देश के कई हिस्सों में मॉनसून में देरी को देखते हुए खाद्य वस्तुओं की सप्लाई को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया है। कृषि, खाद्य और उपभोक्ता मामले के मंत्रालयों में अनाज की बुवाई से लेकर उत्पादन के अनुमान के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। खाद्य वस्तुओं के भंडारण को बढ़ाने के वस्तुओं की खरीदारी में तेजी लाई जा रही है। खाद्य मंत्रालय का कहना है कि चाहे चीनी हो या गेहूं किसी वस्तु की मार्केट में कमी नहीं होने देंगे। एक सीनियर अफसर का कहना है कि जल्द ही फेस्टिव सीजन शुरू होने वाला है। इसमें चीनी, चना, गेहूं, आटा, मैदा, चावल और मूंग समेत अन्य दालों की डिमांड चरम पर होगी। सरकार की पहली प्राथमिकता है किसी भी तरह से बढ़ती डिमांड के अनुसार इसकी सप्लाई मार्केट में की जाए। इसको लेकर योजना पर काम चल रहा है।खाद्य मंत्रालय के अनुसार चावल और गेहूं खरीद में तेजी लाई जा रही है। चावल खरीद चालू मार्केट सीजन 2022-23 में अबतक बढ़कर 5.58 करोड़ टन पर पहुंच गई है। वहीं रबी मार्केटिंग ईयर 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में अब तक गेहूं की खरीद 2.62 करोड़ टन रही है, जो पिछले साल की कुल खरीद 1.88 करोड़ टन से कहीं अधिक है। मंत्रालय का कहना है कि गेहूं और चावल की मौजूदा खरीद से सरकारी भंडार में पर्याप्त खाद्यान्न है। गेहूं और चावल का कुल मिलाकर स्टॉक 5.7 करोड़ टन पर पहुंच गया है, जो देश की खाद्यान्न जरूरतों के लिहाज से संतोषजनक है। एफसीआई राज्य एजेंसियों के साथ मूल्य समर्थन योजना के तहत धान और गेहूं की खरीद करता है। धान की खरीद की जाती है और उसे मिलों में चावल में बदला जाता है।Inflation News: महंगाई क्या फिर वापसी करने वाली है? अल नीनो ने बढ़ा दी है सरकार की चिंतास्टॉक की स्थितिमंत्रालय के अनुसार, मौजूदा खरीफ मार्केटिंग ईयर (अक्टूबर-सितंबर) में 19 जून तक 5.58 करोड़ टन चावल की खरीद की गई थी। केंद्रीय पूल में लगभग 4.01 करोड़ टन चावल आ चुका है। वहीं डेढ़ करोड़ टन चावल अभी मिलना बाकी है। इधर कृषि मंत्रालय के तीसरे अनुमान के अनुसार, चावल उत्पादन 2022-23 फसल वर्ष के लिए रेकॉर्ड 13.55 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 12.94 करोड़ टन था। गेहूं के मामले में 21.29 लाख किसानों को लगभग 55,680 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान किया गया है।अगर अल नीनो का ज्यादा असर हुआ तो बिस्किट, ब्रेड, पैकेज्ड फूड, बेवरेज आइटम्स जैसे फास्ट मूविंग कंस्यूमर फूड (FMCG) प्रॉडक्ट महंगे हो सकते हैं। इनकी डिमांड में कमी आ सकती है। बीएनपी परिबास की रिपोर्ट के अनुसार अल नीनो का सबसे अधिक असर FMCG सेक्टर पर पड़ सकता है। इन प्रॉडक्ट की डिमांड सुस्त पड़ सकती है। यह कम से कम रूरल इकॉनमी को पटरी पर से उतार भी सकता है। इससे बेशक कंपनियों के मार्जिन पर असर नहीं पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अल नीनो ने अपना पूरा प्रभाव दिखाया तो इससे देश की इकॉनमी और मार्केट पर असर पड़ना तय है।महंगाई पर मंडराया ‘अल नीनो’ का खतरा, चावल, चीनी, दाल, सब्जी के बढ़ते दाम ने बढ़ाई टेंशनयह कितना पड़ेगा, यह देखने वाली बात रहेगी। इधर कमोडिटी मार्केट एक्सपर्ट एस. वासुदेवन का कहना है कि अल नीनो का FMCG सेक्टर पर ज्यादा असर पड़ने की बात इसलिए कही जा रही है कि अगर चीनी, आटा, चावल महंगे होंगे तो इनसे बनने वाली चीजें महंगी होनी तय है। कोई भी कंपनी लागत बढ़ने का बोझ अपने ऊपर नहीं लेती है। अगर लेती भी है तो वह अपने प्रॉफिट मार्जिन का हिसाब लगाकर ऐसा करती है। ऐसे में FMCG के प्रॉडक्ट का महंगा होना तय है। इससे डिमांड कम होगी।